SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमाणे प्रतिबोधवा- "हे महानाग, तमारो पुत्र बुद्धिवान् बतां पण बीजा घणा साधुथी लघु थर इजशे अने तमारो पुत्र ज्येष्ठ वृक्ष गणाय तेमां तमारं पण गौरव डे". या प्रमाणे विज्ञप्ति करवाथी जो 3|| है ते पितादि अनुज्ञा आपे तो पुत्रादिने प्रथम स्थापवा, अने जो अनुज्ञा न आपे तो स्थापवा नहीं. ए सातमो ज्येष्ठ कल्प जाणवो. प्रतिक्रमण कल्प. ह अतिचार लागे वा न लागे पण श्रीषन अने वीर प्रजुना साधुरीने बंने काल प्रतिक्रमण अवश्य दकर जोश्ए, अने बाकीना तीर्थंकरोना मुनि ने दोष-अतिचार लागे त्यारेज प्रतिक्रमण करवं जोश-18| है ए, ते सिवाय नहीं. तेमां पण मध्यम तीर्थकरोना यतिने कारण होय तोज देवसिक (देवसी) अने रात्रिक (राई) प्रतिक्रमण प्राये करीने करवा. ते सिवाय बीजां पाक्षिक, चातुर्मासिक अने सांव-है रिक प्रतिक्रमण करवानी जरूर नथी. एवीरीते श्राठमो प्रतिक्रमण कल्प जाणवो. एमास कल्प. है। पहेला अने नेहा तीर्थंकरोना मुनिउँने मास कल्पनी मर्यादा नियमथी . ते उकाल, अशक्ति अने र रोग विगेरे कारणो होय तो शहेरना परामां, बीजा पामामां अने ते वसति बीजा खुणामां परा-1 वर्त्त-फेरवणी करीने पण सत्य करवी जोशए; परंतु शेष काले एक मासथी अधिक रहे नहीं, कारण के तेथी प्रतिबंध, लघुता विगेरे घणा दोष लागवानो संजव बे, पण मध्यम तीर्थकरोना मुनि सरल अने प्राज्ञ होवाथी तेमनामां उपर कहेला दोषोनो बजावडे तेथी ते ने मास कल्प नियमथी नश्री.18 ते यति तो पूर्व कोटि सुधी एक स्थले रहे अने कोश् कारणने लश्ने मासनी अंदर पण विहार करे हूँ जे. एवी रीते आ नवमो मास कल्प जाणवो. ए १० पर्युषणा कल्प. पर्युषणा एटले परि नामे समस्तपणे उषणा एटले रहे, ते पर्युषणा कहेवाय. तेमां पर्युषणा शब्द -OSARIPOSASTOISSA30*30* ALLAGAUROCRACANCREACROSAGACASSOCI S Jain Education international For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy