SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्प० HILDCILMCISCAMGARHGAMCHARIRALAKARSACRORANGO है पर कहेला दोषनो अनाव ने माटे तेमने राजपिंक कल्पे ले. या चोथो राजपिंक कल्प जाणवो. सुवो ५ कृतिकर्म कल्प. । कृतिकर्म एटले वंदना, ते बे प्रकारनी दे. अन्युत्थान श्रने छादशावर्त ते वंदना सर्व तीर्थंकरोनां । तीर्थमां साधुए परस्पर दीदापर्यायथी करवी. साध्वी कदि चिरकालनी दीक्षित होय तोपण | है तेनाथी नवो दीक्षित साधु वंद्य बे, कारण के धर्म पुरुषप्रधान दे.ए पांचमो कृतिकर्म कल्प जाणवो.५४ ६ व्रत कल्प. | व्रत एटले महावतो ते बावीश तीर्थंकरोना साधुने चार होय बे, कारण के ते एम जाणे । के अपरिगृहीत एवी स्त्री साथे लोग थवानो असंलव ने तेथी स्त्री पण परिग्रह डे एटले परिग्रह पच्चरकाण करवायी स्त्रीनु पञ्चकाण थर चुक्युंज. पहेला अने बेला तीर्थकरोना साधुने । तो तेवा ज्ञाननो अनाव डे तेथी ते ने पांच महाव्रतो . ए हो व्रत कल्प. ६ ज्येष्ठ कल्प. | ज्येष्ठ एटले मोटानो कल्प, अर्थात् वृद्ध अने लघुनो व्यवहार. तेमा पहेला अने नेहा तीर्थंकरोना । साधुउने स्थापनाथी आरंजी दीक्षापर्याय गणाय ने अने बाकीना तीर्थंकरोना साधुने अतिचार | है वगरनुं चारित्रहोवाथी दीक्षाना दिवसथीज पिता अने पुत्र, माता अने उहिता, राजा अने मंत्री, शेव अने वणिकपुत्र विगेरे जो साथे दीक्षा ले तो तेए वृक्ष लघुपणे केम वर्तवू ? ते कहे . जो पिता है विगेरे वृद्धोधने पुत्र विगेरे लघु षट् जीवनिकाय, अध्ययन अने योगोछहन-योग वेहेवा विगेरे क्रि-|| 8 याथी जो साथे योग्यताने प्राप्त थया होय तो तेउने अनुक्रमथीज स्थापित करवा. जो कदि तेमां थोडं है अंतर होय तो जरा विलंबथी पण पिता विगेरेने प्रथम स्थापित करवा. जो तेम न करे तो पिता ॥२॥ विगेरेने वृद्धपणाने लीधे पुत्रादिकनी उपर अप्रीति थाय. जो कदि पुत्रादिक बुझिवाला होय अने पि-|| तादिक बुझिवगरना होय अने तेथी तेउमां मोटुं अंतर (तफावत) होय तो ते वृक्ष पितादिकने था| || Jain Education international For Private & Personal Use Only WIVEjainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy