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________________ ARASAASAASASSA ते विमान केवु ने तो के तरुण कहेतां नवो उगेलो जे सूर्य, तेनुंजे मंडल कहेतां बिंब, तेना सरखी ने प्रजा की कहेतां कांति जेनी एवं. वली ते विमान केवु दे तो के देदीप्यमान कहेतां अत्यंत तेज युक्त ने शोना है। जेनी एवं. वली ते विमान केवु दे तो के उत्तम प्रकारनुंजे कंचन कहेतां सुवर्ण अने मणिनो जे समूह, तेणे करीने बहुज मनोहर थएला जे एक हजार ने आठ स्तंनो, तेए करीने अत्यंत देदीप्यमान है। होवाथी नन्न कहेतां श्राकाशने पण कांति युक्त बनावतुं एवं. वली ते विमान केवू डे तो के कनकप्रतर है। कहेतां सोनानां बनावेलां जे पत्रां,तेउँमा लटकतां जे मोती, तेणे करीने उज्ज्वल थएवं एवं. वली ते विमान के ने तो के अत्यंत जाज्वल्यमान थएली श्रने देवताउँने लायकनी, लंबायमान थएली/81 एटले लटकेली दे, एवी रीतनी पुष्पनी माला जेना पर एवं. वली ते विमान के वे तो के हामृग कहेतां वरगमां, वृषन, तुरग कहेतां घोमा, नर कहेतां माणसो, मकर कहेतां मगरमलो, विदग कहेता पदी, व्याल कहेतां सर्पो, किन्नर कहेतां देवजातिविशेष, रुरु कहेतां हरिणजातिविशेष, शरल कहेतां अष्टापद नामना जीवो, चमरी कहेता जेना माना वालनां चमर बने । एवी गायो, संसक्त कहेतां कोजंगली प्राणी विशेष, कुंजर कहेतां हाथी, वनलता कहेतां अशोक वृदनी लता श्रादिक लता, तथा पद्मलता कहेतां कमलिनी, ते संघलांनां चित्रोनीजे विचित्र प्रकारनी रचना, तेए करीने चित्रकारी कहेतां मनने अत्यंत आश्चर्य उपजावनालं. वली ते विमान | केवु ने तो के ("गांधर्व” शब्दे करीने अहीं गीतनो अर्थ करवो, तथा " उपवाद्यमान" शब्दनो अर्थ | वाजित्रो करवो) गांधर्वोए करीने गवातां जे गायनो तथा वगाडातां जे वाजितो ते नो संपूर्ण रीते || घोष कहेतां नाद जेमां एवं. वली ते विमान केवु ने तो के नित्य कहेतां जरा पण आंतरारहित, सजल कहेतां वरसादनां पाणीए करीने संपूर्ण कहेतां नरेलो, अने निबिम तथा पृथुल एटले विस्तारवालो, एवो जे जलधर कहेतां मेघ, तेनो जे गर्जित शब्द कहेतां गारव, एटले गर्जना वखते थतो जे ध्वनि, तेनो अनुनादि कहेता तेना तुख्य नादवालो, एवोजे देव संबंधी इंसुनिनो मोटो शब्द, ते वडे Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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