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________________ संघ-समाज तथा शासन के कार्यों की अत्यंत व्यस्तता के बावजूद इस बार ऊरिमंत्र की प्रथम पीठिका की 21 दिवसीय मौनपूर्वक तप सहित साधना का गुरुदेव को अवसर मिला। जिस दिन साधना की पूर्णाहूति थी उसदिन संपूर्ण समाज की सुविशाल उपस्थिति के साथ-साथ पाँच-पाँच आचार्य भगवंतों और सभी गच्छों व समुदायों के साध साध्वी भगवंतों की उपस्थिति का भी पावन संयोग उपस्थित हुआ । चेन्नई के इतिहास में प्रथम बार ऐसा नज़ारा देखने में आया । सकल श्री संघ के साथ जब लाभार्थी भाग्यवान ने श्री पद्मावती देवी माँ के समक्ष श्रीफल अर्पित किया तो उसमेंसे स्वतः ही जलधारा फूट पडी श्री केशरवाडी तीर्थ ट्रस्ट ने श्री सरस्वती एवं श्री संतिकरं महापूजन युक्त त्रिदिवसीय महामहोत्सव, I सामूहिक सामायिक, संघपूजन आदि अनेकविध कार्यक्रम रखे । प्रथम पीठिका की साधना की सुसंपन्नता के पश्चात् गुरुदेव ने श्री चंद्रप्रभ स्वामी जूना जैन मंदिर में श्री माणिभद्रवीर की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा संपन्न करवाई । इस प्रकार अनेकानेक आयोजन संपन्न करवाते हुए गुरुदेव के चातुर्मासिक प्रवेश का दिन भी नजदीक आ गया । 14 जुलाई को वेपेरी में चातुर्मासिक प्रवेश एवं 16 जुलाई को स्वर्णोत्सव संक्राति समारोह के अवसर पर सभी आचार्यो, साधु-साध्वी भगवंतो की उपस्थिति के साथ साथ संपूर्ण देश के कोने कोने से पधारे हुए सैकडों ही गणमान्य अतिथिओं की विशाल उपस्थिति थी । प्रवेशोत्सव की भव्यता निहारकर सभी आश्चर्यचकित हों रहे थे । प्रवेशोत्सव की धर्मसभा में श्री हस्तिनापुर तीर्थ में बनने वाली आधुनिक सर्वसुविधायुक्त 300 कमरों वाली धर्मशाला के नामकरण हेतु दो करोड एक लाख रुपये में चढावे का आदेश दिया तो श्री नाकोडा तीर्थ में चल रही ज्ञानशाला के नामकरण हेतु एक करोड इक्यावन लाख रुपये की राशि तथा भोजनशाला के उपरी हॉल के लिए 71 लाख रुपये की राशि देकर भाग्यशाली परिवारों ने लाभ लिया । हस्तिनापुर में बनने वाली धर्मशाला के निर्माण की अन्य योजनाओं में भी तुरंत करीब चार करोड रुपये के वचन प्राप्त हो गए। चातुर्मास के शुभारंभ पर श्री गौतमस्वामी महापूजन सहित त्रिदिवसीय महोत्सव श्रीसंघ में रखा गया। प्रवेश वाले दिन सामूहिक आयंबिल तप की मंगलकारी आराधना रखी गई। श्री संघ में श्री सम्मेतशिखर महातप की सामुदायिक तपाराधना में 370 आराधकों ने जुडकर 40 दिनों तक तप जप-क्रिया सहित खूब सुंदर रीति से आराधना संपन्न की। श्री संघ ने श्री सम्मेतशिखर महातप के समस्त तपस्वियों तथा संपूर्ण चेन्नई में मासक्षमण अथवा इससे अधिक का तप करने वाले समस्त तपाराधकों को तीर्थाधिराज श्री सम्मेतशिखर महातीर्थ एवं पंच तीथों की स्पेश्यल ट्रेन के द्वारा यात्रा करवाने का निश्चय किया हुआ है। 10 जनवरी को संघ प्रयाण का मंगल मुर्हत प्रदान किया है । पूज्य गुरुदेव से धर्मरत्नप्रकरण ग्रंथपर आधारित श्रावक जीवन के 21 गुणों पर प्रवचन करने के लिए प्रतिदिन करीब 1500 से 2000 लोगों की उपस्थिति रहती है। प्रवचन एवं प्रत्येक आयोजन में सभी संप्रदायों तथा गच्छों के लोग सम्मिलित होते हैं । गुरुदेव के स्वर्ण जन्मोत्सव वर्ष के उपलक्ष में श्री संघ वेपेरी ने संघपूजन, मोदक वितरण, पांजरापोल में घासधारा मेंटल हॉस्पिटल में 1800 मनोरोगियों को भोजन वितरण तथा चातुर्मास पर्यन्त अनुकम्पादेन के रूप में अन्न वितरण के कार्यक्रम की व्यवस्था का सुदंर आयोजन किया। इस उपलक्ष्यमें आँखों के निःशुल्क चेकअप तथा आप्रेशन कैम्प, पोलियो कैम्प, डायाबिटीज कैम्प आदि के जनकल्याणार्थ कार्यक्रम संपन्न हुए । मासक्षमण के घर की आराधना का शुभारंभ सामूहिक अहम तप द्वारा किया गया करीब 300 से भी ज्यादा अट्टम हुए। चातुर्मास प्रारंभ से ही प्रतिदिन आयंबिल, क्रमिक अट्ठाई, क्रमिक पासक्षमण एवं क्रमिक मासक्षमण भी चल रहा है । " , अखंड बालब्रहाचारी श्री नेमिनाथ भगवान के जन्मकल्याणक पर जिनमंदिर मं प्रातः मंत्रोच्चार सहित 108 अखंड अभिषेक तथा श्री पार्श्वनाथ भगवान के निर्वाण कल्याणक दिन पर भी 108 अखंड अभिषेक हुए। मुजफ्फरनगर के अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कलाकार श्री डी. पी. कौशिक के द्वारा प्रथमदिन प्रभु श्री नेमिनाथ के जन्मकल्याणक दूसरे दिन श्री नेमिनाथ की बारात, पशुओं का कूप क्रन्दन, नेम- राजुल का मार्मिक संवाद तथा प्रभु का दीक्षा हेतु प्रयाण, तीसरे दिन श्रीपाल मयणा सुंदरी तथा चौथे दिन श्री पार्श्वनाथ भगवान के जीवन चारित्र पर आधारित संगीत नाट्य कलायुक्त जीवन्त मंचन ( नाटिकाएं) प्रस्तुत किए जिन्हें देखने के लिए संपूर्ण चेन्नई के लोगों की बड़ी संख्या में भीड़ उमडती रही । प्रभु श्री नेमिनाथ के दीक्षा कल्याणक के दिन उपस्थित समस्त जनसमूह ने प्राणीजन्य वस्तुओं, दवाईयों आदि का त्याग किया । स्वतंत्रता दिवस तथा संक्राति समारोह के उपलक्ष्य में तमिलनाडु के महामहिम राज्पाल श्री सुरजितसिंह बरनाला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005126
Book TitleDhanyadhara Shashwat Saurabh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal B Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year2008
Total Pages972
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size53 MB
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