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विशेष रूप से प्रवचन श्रवण करने हेतु पधारे । तमिलनाडु के चीफ सेक्रेट्री एल. के. त्रिपाठी संक्राति समारोह पर पहुंचे तथा अनेक राजनीतिक तथा प्रशासनिक अधिकारी भी विभिन्न अवसरों पर दर्शनार्थ आते रहे । स्वतंत्रता दिवस पर विश्वशांति की मंगलभावना से सामूहित आयंबिल तप में 550 आयंबिल हुए।
सम्मेतशिखर महातीर्थ की भावयात्रा के तीन घंटे तक चले कार्यक्रम में सभी ने तल्लीनतापूर्वक आनंद उठाया । करीब ढाई हजार लोगों की उपस्थिति संपूर्ण कार्यक्रम के दौरान बनी रही । श्री सम्मेतशिखर महापूजन में भी पाँच सौ आराधकों ने हजारों की उपस्थिति वाले विशाल मंडप में श्री सम्मेतशिखर महापूजनका लाभ लिया । वह दृश्य सभी को भक्ति में अभिभूत कर देने वाला था । श्री सम्मेतशिखर महातप के सभी तपस्वियों का पारणा खूब भव्यतापूर्वक संपन्न करवाया गया और सभी का सन्मान-बहुमान किया गया ।
बालकों बालिकाओं तथा माताओं बहनों में संस्कारों का बीजारोपण एवं धार्मिक कर्तव्यों के पालन के लिए प्रेरणा देनेवाले बाल संस्कार शिविर तथा महिला संस्कार शिविर का आयोजन हुआ । करीब 700 बालक-बालिकाओं एवं करीब 500 बहनों ने शिविर में भाग लिया । देवदर्शन अपार्टमेन्ट में रहने वाली बहनों की धर्मबावना देखते हुए श्रुत सामायिक मंडल की स्थापना की गई। चेन्नई के उपक्षेत्र तेनापेट स्थित जिनमंदिर में श्री नाकोडा भैरव एवं श्री अंबिका देवी का पाँच दिवसीय भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न करवाया । श्री सम्मेतशिखर के तप अनुमोदनार्थ बेंगलोर से विशेश रूप से पधारे जैन बंधु मंडल के सदस्यों द्वारा रात्रि भक्ति भावना का बेहतरीन कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया । वेपेरी युवावर्ग को धर्म तथा समाज सेवा से जोड़ने के लिए उन्हें संगठित कर श्री संभवनाथ जैन वेपेरी मंडल की स्थापना की गई । जिससे युवा वर्ग के कदम संघ शासन की सेवा तथा धर्म के कार्य की ओर बढने प्रारंभ हो गए । मंडल के द्वारा भगवान महावीर स्वामी के जीवन चरित्र पर आधारित एमिनेशन फिल्म दिखाई गयी।
दैनिक प्रवचन के दौरान एक दिन सामूहिक सामायिक का आयोजन किया गया जिसमें सभी ने अपनी अपनी परन्परा से सामायिक को स्वीकार कर सामायिक विषय पर श्रवण किया, अनेक लोगों ने प्रतिदिन सामायिक करने का संकल्प ग्रहण किया । श्री संघ के प्रांगण में विश्वशांति हेतु श्री नवकार महामंत्र का 6 घंटे तक संगीतमय अखंड जाप रखा गया जिसमें अनेक मंडलो तथा आराधकों ने भाग लिया ।
पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व की आराधना में बाल-युवा वृद्ध सभी अत्यंत उत्साहित बनकर जुड़े हुए थे । तपस्या की घर घर में होड़ मची हुई थी। नन्हें नन्हें बालक बालिकाओं ने भी अट्ठाई आदि तप खूब उल्लसित भाव से संपन्न किये । पालनाजी घर ले जाने के चढावे का 40 लाख रुपये में आदेश किया गया । अन्य भी चढावों में अनेक कीर्तिमान स्थापित हुए । सांवत्सरिक प्रतिक्रमण की आराधना के पश्चात् पंचमी को सभी तपस्वियों के पारणे तथा बहुमान संपन्न हुए। इससे पूर्व द्वारोद्घाटन का मांगलिक विधान भी सुंदर रूप से संपन्न हुआ ।
पंचमी की दोपहर में बालमुनि श्री महेन्द्रविजयजी म.सा. के 31 उपवास की उग्र तपस्या के अनुमोदनार्थ नगर सांझी का आयोजन हुआ जिसमें करीब 2000 माताओं की सुविशाल उपस्थिति रही । रात्रि 8 बजे बालमुनि के तप अनुमोदनार्थ भक्ति गीत संध्या का सफल आयोजन सुसंपन्न हुआ ।
___दिनांक 5 सितम्बर को बालमुनि के मासक्षमण के पारणे पर तप अभिनंदन समारोह में चेन्नई मे बिराजित पाँचों आचार्य भगवंत सहित तपागच्छ, खरतरगच्छ, स्थानकवासी, त्रिस्तुतिक सभी गच्छों एवं समुदायों के साधु-साध्वी भगवंत पधारे । विशाल शोभायात्रा के साथ सभी लाभार्थी परिवार के निवास पर पहुंचे जहाँ पर पगलिया के पश्चात् बालमुनि को पारणा कराने के लिए लाभार्थी परिवार ने लाभ लिया । बालमुनि के ही तप अनुमोदनार्थ श्री संघ के तत्वावधान में पांजरापोल में पशुओं को गुड-लापसी तथा घास-चारा दिया गया एवं मेंटल हॉस्पिटल में 1800 मनोरोगियों को भोजन करवाया गया । श्री जैन महासभा चेन्नई के द्वारा सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें श्वेताम्बर आचार्य एवं मुनियों के अतिरिक्त दिगंबर आचार्य एवं मुनि भी सम्मिलित हुए । इस कार्यक्रम से जैन एकता की दिशा में अच्छा प्रभाव पडा।
6 सितम्बर को तपस्वियों का भव्य वरघोडा निकाला गया तथा 7 सितम्तर को चैत्यपरिपाटी के आयोजन में पहली
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