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एक छात्रावास के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। आचार्य चंद्रानन अगर आज के संतों में सबसे क्रांतिकारी संत के रूप में विख्यात हैं तो इसकी एकमात्र वजह यही है कि वे जीवन में धर्म और तपस्या कोजितना महत्व देते हैं, शिक्षा को भी उसी की बराबरी में मानते हैं क्योंकि उनकी राय में- 'शिक्षा एकमात्र साधन है जिसके जरिए धर्म के मर्म और जीवन के धर्म को आसानी से समझा जा सकता है।'
बीते दस वर्षों का हिसाब लागाया जाए तो आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज की कोशिशों से स्थापित एवं उनके श्रद्धालुओं द्वारा संचालित विभिन्न संस्थाओं द्वारा पांच लाख से ज्यादा जरूरतमंद लोगों को शिक्षा, चिकित्सा एवं सामाजिक विकास की सुविधाएं उपलब्ध कराने के अलावा ५० लाख से ज्यादा पशुओं के जीवन को बचाने की कोशिशें की गई हैं। राजस्थान ही नहीं गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत की गौशालाएं इस बात की गवाह हैं कि आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज ने पशु कल्याण के कितने मजबूत काम किए हैं। राजस्थान के सुमेरपुर में विशाल भगवान महावीर चिकित्सालय के आधुनिकीकरण एवं विस्तार का कार्य
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ધન્ય ધરાઃ
आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज की कोशिशों से लगातार विकसीत हो रहा है तो कर्नाटक के मैसूर में पांच एकड़ जमीन पर महावीर दर्शन अस्पताल हाल ही में शुरू हुआ है। पोलियो शिबिर, नेत्र चिकित्सा शिबिर एवं दंत चिकित्सा शिबिर सहित जरूरतमंद वर्ग के लोगों के लिए हर इलाज मुफ्त में करने की प्रेरणा उन्होंने चेन्नई के युवाओं को दी तो यह आदेश उन्होंने एक यज्ञ की तरह स्वीकारा और सन २०० से यह सेवाकार्य लगातार चल रहा है। चेन्नई, बैंगलोर, मुंबई, मैसूर, पालीताणा, अमदावाद, सुमेरपुर और विभिन्न स्थानों पर चिकित्सा ट्रस्ट आचार्य के सान्निध्य में संचालित हो रहे हैं । जहाँ लाखों लोगों को हर साल मुफ्त एवं रियायती दरों पर चिकित्सा सुविधाएँ हासिल हैं। युवा वर्ग में आचार्य चंद्रानन सबसे ज्यदा लोकप्रिय संतों में शिखर पर हैं और शिखर की मजबूरी यह है कि कोई एक ही रह सकता है। आचार्य चंद्रानन उस शिखर पर बिराजमान हैं तो उसकी पीछे उनकी युवाओं में लोकप्रियता, शिक्षा के प्रति समर्पण और धर्म की धारा को आगे बढ़ाने की कोशिशों का कमाल ही असली कारण माना जा सकता है।
सौजन्य : श्री सर्वोदय पार्श्वनाथ ट्रस्ट - मुलुन्ड- मुंबई
डाउंछीना
શ્રી ધન્ય અણગાર
૩૨ કન્યાઓનો ભરતાર ભોગવિલાસમાં ડૂબેલ હતો: પણ વૈરાગ્યનો રંગ લાગતા સંયમ લઈ ઉત્કૃષ્ટ તપ કરી નવ મહિનામાં એકાવતારી સર્વાર્થસિદ્ધ વિમાનવાસી થયા.
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