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________________ શાશ્વત સૌરભ ભાગ-૧ प.पू. आ. श्री चंद्रानन सागरसूरिजी के गोड़वाड़ की धरती पर पाली जिले के फालना में महाराज साधु विक्रम संवत २०२७ के जेठ वद ११ को १७ जूव १९७१ को शनिवार के दिन हुआ। छोटी सी उम्र में का चोला पहनकर बीते ३५ वर्षों से जनसेवामें जुटे आचार्य चंद्रानन सागर धर्म के मर्म को समझाने के साथ ही शिक्षा के विकास में अपने योगदान के अलावा जनजन को पढ़-लिखकर जीवनका मर्म समझा रहे हैं। बीते ३५ सालों में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की धरती पर करीब डेढ़ लाख से ज्यादा पदयात्रा कर चुके आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज जहाँ भी गए वहाँ सत्कर्म की शिक्षा देने के साथ ही जरूरतमंद वर्ग की सहायता करके उनका जीवन स्तर उठाने की कोशिश उनका पहला उद्देश्य रहा । अपनी इन्हीं कोशिशों के तहत बीते ३५ सालों में आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज १० हजार से ज्यादा जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को रोजगार दिलाने का काम कर चुके हैं । कमजोर वर्ग के परिवारों के प्रतिभाशाली छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए हाल ही में शुरू हुआ उनका अभियान अब तक पांच सौ से ज्यादा युवकयुवतीओं को सहयोग कर चुका है। कम उम्र में जो लोग सफलता के सब से ऊंचे शिखर को हासिल करते हैं उन्हें साधना भी बहुत ज्यादा करनी पड़ती है। लेकिन उस शिखर पर बने रहने के लिए निरंजन परिहार उससे भी कई गुना ज्यादा तपस्या के लिए खुद को समर्पित करना होता है। आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज को ऐसा ही सबसे ऊंचा शिखर हासिल हे जिन्होंने साधना, तपस्या और धर्म के मुश्किल मार्ग को आम आदमी के लिए आसान बनाने की कोशिशों को नई दिशा दी है। साथ ही सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक कार्यो को आगे बढ़ाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। वे औरों की तरह सिर्फ जीवन का धर्म और धर्म का मर्म बताने के साथ ही पवित्रता से परिपूर्ण कर्म का मार्ग ही नहीं बताते बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन का रास्ता दिखाते हैं। शिक्षा के लिए उनका गजब समर्पम है। आध्यात्मिक चेतना के साथसाथ शैक्षणिक क्रांति उनकी प्रेरणा का महत्वपूर्ण हिस्सा देखी गई है। जितने धार्मिक और सामाजिक कार्य उनके खाते में दर्ज हैं उतनी ही शैक्षणिक विकास की कोशिशें भी आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज के कार्यों का हिस्सा रही हैं। आज के संतों में आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज शिक्षा के विकास के सबसे महत्वपूर्ण हसताक्षर के रूपमें देखे जाते हैं। गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के आदरियाणा में विक्रम संवत २०१५ को भादरवा सुद १ को जन्मे आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज का दीक्षा संस्कार राजस्थान Jain Education International ४७१ शिक्षा का क्षेत्र आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज का सबसे प्रिय विषय रहा है। राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में आचार्य की प्रेरणा से बीस से ज्यादा शैक्षणिक संस्थाए संचालित हैं। इनमें से १० संस्थाएं स्कूल, कॉलेज और छात्रावास का एक साथ संचालन करती हैं। आचार्य चंद्रानन मानते हैं कि शिक्षा के बिना सर्व कल्याण की कोशिशों को नयी दिशा नहीं दी जा सकती साथ ही विकास की गति को भी तेज नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि आचार्य चंद्रानन सागर सूरिश्वर महाराज का विशेष ध्यान सिर्फ शिक्षा की तरफ है। उनकी कोशिशों से मुंबई में एक अत्याधुनिक कॉलेज और स्कूल का सपना आकार ले रहा है तो लोनावाला में एक कॉलेज, एक स्कूल और For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005126
Book TitleDhanyadhara Shashwat Saurabh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal B Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year2008
Total Pages972
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size53 MB
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