SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (उपर 'भसू' वडे निर्दिष्ट संस्करण ) मस : मरणसमाधि प्रकीर्णक ( 'प्रकीर्णकदशक 'मां मुद्रित ) : प्रकाशक आगमोदय समिति, मुंबई, सं. १९८३ राप्रम : राजप्रश्नीय सूत्र-मलयगिरिनी वृत्ति (ई. स.नो १२ मो सैको) : प्रकाशक आगमोदय समिति, मुंबई, सं. १९८१ विको : विशेषावश्यक भाष्य-कोट्याचार्यनी वृत्ति ( ई. स. ना ८मा सैका आसपास ) : प्रकाशक ऋषभदेवजी केशरीमलजी श्वेतांबर संस्था, रतलाम विभा : विशेषावश्यक भाष्य-कर्ता जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ( ई. स.ना ७ मा सैकानो प्रारंभ ) : प्रकाशक ऋषभदेवजी केशरी मलजी श्वेतांबर संस्था, रतलाम विसूअ : विपाक सूत्र-अभयदेवसूरिनी वृत्ति (ई. स. नो ११मो सैको) : प्रकाशक आगमोदय समिति, सं. १९७६ वृद : वृष्णिदशा (निर्यावलिका 'मां मुद्रित ) : प्रकाशक आगमोदय ___ समिति, सं. १९७८ ववृ : वन्दारुवृत्ति-श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र उपर देवेन्द्रसूरिनी वृत्ति ( इ. स. नो १३मो सैको) : प्रकाशक दे. ला. जैन पुस्तकोद्धार फंड, मुंबई, सं. १९६८ व्यभा : व्यवहार सूत्र-संघदासगणि समाश्रमणकृत भाष्य (ई. स.ना छठा सैका आसपास ) (नीचे 'व्यम' वडे निर्दिष्ट संस्करण ) व्यम : व्यवहार सूत्र-मलयगिरिनी वृत्ति ( ई. स.नो १२मो सैको): संपादक मुनि माणेक, अमदावाद श्रापर : श्राद्ध प्रतिक्रमण सूत्र--रत्नशेखरसूरिनी वृत्ति (सं. १९४६= Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy