SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स. नो ७ मो सैको) : प्रकाशक ऋषभदेवजी केसरीमलजी श्वेतांबर संस्था, रतलाम, सं. १९९८ आह : आवश्यक सूत्र-हरिभद्रसूरिनी वृत्ति ( ई. स. नो ८ मो सैक्रो): प्रकाशक दे. ला. जैन पुस्तकोद्वार फंड, मुंबई आहेहा : मलधारी हेमचन्द्र (ई. स. नो १२ मो सैको) सूत्रित हारिभद्रीय आवश्यकवृत्तिटिप्पण : प्रकाशक दे. ला. जैन पुस्तकोद्वार फंड, मुंबई, ई. स. १९२० ओनिद्रो : ओघनियुक्ति-द्रोणाचार्यनी वृत्ति (ई. स. नो ११ मो सैको) : प्रकाशक आगमोदय समिति, मेसाणा, सं. १९७५ ओनिभा : ओघनियुक्ति-भाष्य, (उपर 'ओनिद्रो' वडे निर्दिष्ट संस्करण ) औसूअ : औपपातिक सूत्र-अभयदेवसूरिनी वृत्ति (ई. स. नो ११ मो सैको ) : प्रकाशक आगमोदय समिति, मेसाणा, सं. १९७२ अंद : अंतकृत्दशा सूत्र : प्रकाशक आगमोदय समिति, सं. १९७६ अंदवृ : अंतकृत्दशा सूत्र-अभयदेवसूरिनो वृत्ति (ई. स. नो ११ मो सैको). ( उपर 'अंद' वडे निर्दिष्ट संस्करण ) उ : उत्तराध्ययन सूत्र (नीचे 'उशा' वडे निर्दिष्ट संस्करण उक : उत्तराध्ययन सूत्र-उपाध्याय कमलसंगमकृत टीका (सं. १५४४ ई. स. १४८८) : संपादक मुनि जयंतविजयजी उचू : उत्तराध्ययन सूत्र-चूर्णि : प्रकाशक ऋषभदेवजी केशरीमलजी श्वेतांबर संस्था, रतलाम, सं. १९९८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy