SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उनि : उत्तराध्ययन सूत्र-नियुक्ति. (नीचे 'उशा' वडे निर्दिष्ट संस्करण ) । उने : उत्तराध्ययन सूत्र-नेमिचन्द्रनी वृत्ति ( सं. ११२९ ई. स. १०७३ ) : संपादक विजयउमंगसूरि, सं. १९९३ उशा : उत्तराध्ययन सूत्र-शान्तिसूरिनी वृत्ति ( ई. स. नो ११ मो सैको ) : प्रकाशक दे. ला. जैन पुस्तकोद्धार फंड; भाग १ अने २, सं. १९७२; भाग ३, सं. १९७३ ककि : कल्पसूत्र-उपाध्याय धर्मसागरकृत किरणावली टीका (सं. १६२८ ई. स. १५७२ ) : संपादक पं. दानविजय, भावनगर, सं. १९७८ ककौ : कल्पसूत्र-उपाध्याय शान्तिसागरकृत कौमुदी टोका (सं. १७०७ ई. स. १६५१), प्रकाशक ऋषभदेवजी केशरी मलजी श्वेतांबर संस्था, रतलाम, सं. १९९२ कदी : कल्पसूत्र-जयविजयकृत दीपिका टीका (सं. १६७७ ई. . स. १६२१) : संपादक पं. मफतलाल झवेरचंद, प्रकाशक महोपाध्याय यशोविजय पुस्तकालय, राधनपुर, सं. १९९१ कसु : कल्पसूत्र-उपाध्याय विनयविजयकृत सुबोधिका टीका (सं. १६९६ ई. स. १६४०) : प्रकाशक दे. ला. जैन पुस्तकोद्धार फंड, सूरत, सं. १९६७ कसं : कल्पसूत्र-खरतरगच्छीय जिनप्रभसूरिकृत संदेहविषौषधि टीका (सं. १३६४ ई. स. १३०८) : संपादक पं. हीरालाल हंसराज, जामनगर, सं १९६९ चं : चंदाविज्झय प्रकीर्णक ('प्रकीर्णकदशक 'मां मुद्रित, प्रकाशक : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy