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________________ सुराष्ट्र जुओ नासिक्य १ आचू, पूर्व भाग, पृ. ५६६; आम, पृ. ५३३ सुरप्रिय एक यक्ष. एनुं आयतन द्वारवती पासेना नंदनवन उद्यानमा हतुं. जुओ द्वारवती, रैवतक सुराम्बर एक यक्ष. एनुं आयतन शौरिपुरमा हतुं.' १ पाय, पृ. ६७ सुराष्ट्र साडीपचीस आर्य देशो पैकी एक. जेनी राजधानी द्वारवतीद्वारकामा हती.' 'अनुयोगद्वार सूत्र'मां क्षेत्रनी वात करता, मगध, मालव, महाराष्ट्र अने कोकणनी साथे सुराष्ट्रनो उल्लेख कर्यो छे.' 'कल्पसूत्र'नी विविध टीकाओमां आपेलां 'राज्यदेशनाम'मा 'सौराष्ट्र' पण छे. 'सुरद्वा' अथवा सुराष्ट्र छन्नु मंडलमां वहें चायेलो हतो. . एक माणस 'सौराष्ट्र' एटले के 'सुराष्ट्रनो' केवी रीते कहेवाय ए नीचे प्रमाणे समजाव्यु छः गिरिनगरमां निवास करवानी इच्छाथी कोई माणस मगधमांथी सुराष्ट्र तरफ जवा नीकळे अने सुराष्ट्रना सीमाडे आवेला गाममां पहोंची जाय, पछी एनो निर्देश करवानो प्रसंग उपस्थित. थतां एने माटे 'सौराष्ट्र' अर्थात् 'सुराष्ट्रनो'-एवा शब्दनो व्यवहार थाय छे. वळी 'सूत्रकृतांगचूर्णि'मां मगधना श्रावक साथे सुराष्ट्रना श्रावकनो उल्लेख छ ('खेत्ते जो जत्थ खेत्ते पुरिसो, जहा सोरट्टो. सावगो मागधो वा एवमादि,' पृ. १२७), ए वस्तु सूचवे छे के चूर्णिकारना समयमा जैनधर्मनां केन्द्रोमां मगध अने सुराष्ट्र पण हता, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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