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________________ मथुश ] [१२१ हतो. आना निर्णय माटे राजानी संमतिथी एम नक्की थयुं हतुं के ‘जो स्तूप खरेखर रक्तपटोनो-बौदोनो होय तो ते उपर प्रभातमां राती पताका फरके अने जो जैनोनो होय तो त पताका फरके.' रात्रे देवताए स्तूप उपर श्वेत पताका फरकावी ते प्रभातमां सौए जोयु, अने ए रीते जैन संघनो विजय थयो.” आ अनुश्रुतिमाथी अतिहासिक दृष्टिए एवो निष्कर्ष नोकळी शके के मथुराना जैन स्तूप उपर बौद्रोए आधिपत्य जमाव्युं हतुं, पण मथुराना राजाए ए स्तूप जैनोने पाछो सोप्यो हतो. ____ उपर्युक्त देवनिर्मित स्तुपनो महिमा-उत्सव पग पर्वदिवसोए थतो. एक वार स्तूपनो महिमा करवा माटे केटलीक श्राविकाओ साध्वीओनी साथे गई हती. ए समये त्यां एक साधु, जेओ पूर्वाश्रममा राजपुत्र हता तेओ आतापना लेता हता. वाचक जातिना लुटामओए ए स्त्रीओने पकडी अने स्तूपमाथी तेओ एमने बहार लाव्या. साधुने जोईने स्त्रीओए भारे आनंद कयु, ए सांभळी क्षत्रिय साधुए बोधिको साथे युद्ध करीने तेमने छोडावी." __ देवनिर्मित स्तूप जेवा जैनोना प्रसिद्ध यात्राधाम पासेथा आवी रीते पूजार्थ आवेलो स्त्रीओनुं लुटारु भो हरण करे ए वतावे छे के आ घटनाना समय सुधीमां मथुरामाथी जैनोनुं वर्चस ठीकठीक प्रमाणमां घट्युं हशे अने स्तूपनी आसपासनो प्रदेश उज्जड जेबो बनी गयो हशे. 'सूत्रकृतांग सूत्र'नी चूणि अने वृत्तिमा एक पुरातन गाथा उतारेलो छ,' एमां कुसुमपुर छाने मथुरानो एको साथे एवी रीते उल्लेख छे, जे प्रस्तुत गाथाना रचनाकाळे कुसुमपुर (पाटलिपुत्र ) अने मथुरानुं एकसरखं प्राधान्य सूचवे छे. पाटलिपुत्रमा जैन श्रुतनी पहेली वाचना थया पछी केटली शताब्दीओ बाद स्कन्दिलाचार्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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