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________________ १२० ] [ मथुरा आवश्यक सूत्र 'नी वृत्तिमां आ यज्ञायतननो परंपरागत इतिहास नीचे प्रमाणे आपवामां आव्यो छेः मथुरामां राजानी आज्ञाथी हुंडिक नामे एक चोरने शूळीए चढाववामां आव्यो हतो. चोरना बीजा साथीओ पकडाई जाय ए माटे तेनी तपास राखवानी सूचना राजाए पोताना माणसोने करी हतो. जिनदत्त नामे श्रावक ए स्थळेथी पसार थतो हतो, तेनी पासे चोरे पाणी माग्युं. जिनदत्ते एने नवकार भणवानुं कह्युं अने पोते पाणी लेवो गयो. आ बाजू नवकार बोलता चोरनो जीव नीकळी गयो अने ते यक्ष थयो. राजाना माणसोए जिनदत्तने पकड्यो अने राजाए एने शूलो उपर चढाववानी आज्ञा करी. यक्षे अवधिथी आ वात जाणी. तेणे पर्वत उपाडीने नगर उपर भूक्यो अने कहां के ' श्रावकने खमावो, नहि तो नगरनो चूरो करी नाखीश. ' आ पछी जिनदत्तने खमाबीने वैभवपूर्वक एनो नगरप्रवेश कराववामां आव्यो, अने नगरनी पूर्व दिशाए यक्षनुं आयतन बंधाववामां आयु. आ वृत्तान्त उपरथी स्पष्ट छे के उपर्युक्त यक्षायतन मथुरानी पूर्व दिशाए होवु जोईए. 6 राजकीय दृष्टिए मथुरा उत्तरापथनु एक अगत्यनुं शहेर हतुं अने ९६ गाम एनी साथे जोडायेलां हतां.' आ दृष्टिए 'मथुराहार'नो उल्लेख नोधपात्र छे. ' १० · मथुरा जैन धर्म एक मोटु केन्द्र हतु मथुरामां वरना बारणानी ओतरंग उपर सौ पहेलां अर्हत्-प्रतिमानुं स्थापन करवामां आवतु, अने एम न थाय तो ए मकान पडी जाय एम मनातुं. आवी स्थापनाने ' मंगलचैत्य' कहेता. मथुरा साथे संबंध धरावतां ९६ गाममा पण मंगलचैत्य हतां.' ११ मथुरानो जैन स्तूप एटलो प्राचीन हतो के एने 'देवनिर्मित स्तूप' कहेता . " कोई समये आ तूपनो कबजो बौद्धोर लई लीधो १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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