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________________ टीकाओनी आ पंरपरा चालु राखी हती. आ परंपरा ओछामां ओछु अराढमा सैका सुधी चालु रहेली छे, अने कोई कोई दाखलामा ठेठ अर्वाचीन काळमां पण जैन आचार्योए आगमग्रन्थो उपर संस्कृत टीकाओ रचेली छे. संस्कृत टीकाओमां पण दृष्टान्तो, कथानको अने बीजां अवतरणो घणुंखरुं प्राकृतमां आवे छे, जे प्राचीनतर रचनाओमांथी शब्दशः लेवायां हशे एवं अनुमान थाय छे. मुकाबले अर्वाचीन काळमां रचायेली संस्कृत टीकाओ पण. आ तेमज बीजी अनेक रीते प्राचीनतर परंपराओनी ऋणी छे अने ए कारणे एमर्नु मूल्य ते ते समयमां रचायेला बीजा सामान्य ग्रन्थोनी तुलनाए घणुं वधारे छे. बत्रीस अक्षरनो एक श्लोक ए गणतरी प्रमाणे तमाम उपलब्ध जैन आगमसाहित्य आशरे साडाछ लाख श्लोकप्रमाण छे. सने १९४३ ना जुलाईमां गुजरात विद्यासभाना अनुस्नातक अने संशोधन विभागमां (हवे शेठ भो. जे. विद्याभवनमां ) अध्यापक तरीके हुँ जोडायो त्यारथी आगमसाहित्यमांथी प्राचीन भारतना सांस्कृतिक अभ्यास माटेनी सामग्री संकलित करवानुं कार्य आरंभ्यु हतुं. लगभग तमाम मुद्रित आगमसाहित्य-जेनुं प्रमाण आशरे सवापांच लाख श्लोकप्रमाण करतां कईक वधारे थाय छे–सने १९५० सुधीमां जोवाई गयु. एमाथी प्राचीन गुर्जर देश तथा ते साथे संबंध धरावता विषयोनी माहिती अलग तारवीने आ ग्रन्थ तैयार कर्यो छे. आशरे सवा लाख श्लोकप्रमाण जेटलं आगमसाहित्य हजी अप्रसिद्ध छे. एमां केटलीक महत्त्व नी चूर्णिओ, टीकाओ अने थोडाक मौलिक ग्रन्थोनो पण समावेश थाय छे. एमाथी मळती सामग्रीनुं प्रकाशन आ पुस्तकनी पूर्तिरूपे करी शकाय. . भगवान महावीरनुं जन्मस्थान तेमज प्रवृत्तिक्षेत्र मगध हतुं; जैन श्रुतनी संकलना माटे सौ पहेली परिषद पण मगधना पाटनगर पाटलि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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