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[ कोकास तोसलि नगर आगळ ऊतरवानी फरज पडे छे. आ तोसलि नगर पण कलिंगमां आवेलुं हतु ए अहीं नोंधq जोईए जेमां लोकवार्ताजन्य कल्पनाना अंशो मोटा प्रमाणमां भळेला छे एवा आ विख्यात शिल्पीना कथानकमांथी कलिंगना राज्य अने मगधना साम्राज्य वच्चेना प्राचीनकाळथी चाल्या आवता वैरनुं सूचन थाय छे, जेने अशोकना कलिंगविजयमांथी तथा कलिंगचक्रवर्ती जैन सम्राट् खारवेलना उदयगिरि उपरनी हाथीगुंफाना लेखमांथी पण अनुमोदन मळे छे.
१ आचू, पूर्व भाग, पृ. ५४०-४१; आम, पृ. ५१२-१३. वळी मात्र सूचनरूपे कोकासना निर्देश माटे जुओ व्यम, उदे० ५. प्राचीन भारतीय साहित्यमां अनेक स्थळे जडता वायुयानविषयक उल्लेखोना अभ्यास माटे जुओ इतिहासनी केडी'मां प्रन्थस्थ थयेलो मारो लेख 'प्राचीन भारतमां विमान.'
२. 'वसुदेव-हिंडी' (मूल), पृ. ६१-६४; अनुवाद, पृ. ७४-०७७ कोण
. गुजरातनी दक्षिण सरहदने अडीने आवेलो कोंकणनो प्रदेश. साधुए विहार करवा योग्य २५॥ आर्यदेशोमां कोंकणनो समावेश थतो नथी अने कोंकणकने एक अनार्य जाति तरीके गणावेली छे, छतां आगमसाहित्यमां कोंकण विशेना संख्याबंध प्रकीर्ण उल्लेखो मळे छे, जे सूचवे छे के समय जतां ए प्रदेशमां जैन धर्मनो ठीक प्रचार थयो हतो अने त्यां जैन साधुओ वारंवार विचरता हता. 'कोंकण' ए प्रदेश नाम ' कोंकणक' ए जातिनाम उपरथी पड्यु जणाय छे (जुओं कोङ्कणक). ___कोंकणवासीओ पुष्प अने फळनो प्रचुर प्रमाणमा उपभोग करता हता. उत्तरापथ अने बाल्हिकना लोको जेम सक्त खाय छे तेम कोंकणवासीओ 'पेज्जा' (सं. पेया) अर्थात् चोखानी राब ले छे. स्यां भोजनना प्रारंभमां ज आ राब अपाय छे. अत्यारे पण कोंकणमां
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