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अ से ह अरिहंत-अरिहंत
(राग - आतम भक्ति)
अ -
: अरिहंत - अरिहंत जाप जपें हम, आतमशुध्धि करनेको ।
आ = : आणारंगी, समकितसंगी, आतमज्ञानी बननेको ॥
क
ख
ग -
: कर्म सारेके सिध्धांतदाता, ज्ञाता सर्वेश्वरा हो ।
: खमीरी और गंभीरतासे, बने जग मसीहा हो ।।
: गणके नायक गणपति हो, ब्रह्मा-विष्णु-महेश्वरा ।
घ= : घरमें घटमें आप रहे हो, शिवंकारी हो शंकरा ||
ष - : षटकायक्षमा, खम्मा खम्मा- भावोंकी भेंट लाये है ।
ह
=
=
: हकीम रागरोगके आप, हमदर्दी लेने आये है ।।
नेमिप्रेमी अरिहंत शरणमें, आतमशुध्धि करने को ।
आर्शीवाददाता : परमात्माभक्तिकारक अध्यात्मयोगी सद्गुरुदेव ।
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णमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स
वंदामि जिणे चउव्वीसं नमो जिणाणं जिअ भयाणं । जगबंधव-जगसत्थवाह- वंदु जिण सव्वेवि । जावंत चेइयाई सव्वाई ताइं वंदे-सव्वजिणाणं वंदे । तिन्नाण तारयाणं, बुध्धाण बोहयाणं सव्वे तिविहेण - वंदामि । वंदे जाइजरामरणसोगपणासणस्स-देवाधिदेवं वंदे ।
जावंत अक्खुयार-चरिता साहू-सव्वेसिं तेसिं पणओ । जावंत के वि साहू ते सव्वे सिरसा मणसा मत्थश्रेण वंदामि । धम्मो मंगलमुक्कि - अहिंसा संजमो तवो ।
जिण सासणस्स सारो एगो नवकारो-जिण वयणे आयरं कुणह ।
अनुमोदगा : नेमिपेमी आराधग मंडला- मुंबई - पूणा नयर
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