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________________ लेखाङ्कः-४३४ । २१५ गीर विजयिराज्ये साहियादा साहिजहांराज्ये । ओसवालज्ञातीय गणधरचोपडागोत्रीय सं० नगा भायों नयणादे ( :') पुत्र संग्राम भा० तोली पु० माला भा० माल्हणदे पु० देका भा० देवलदे पु० कचरा भा० कउडिमदे चतुरंगदे पु० अमरसी भा० अमरादे पुत्ररत्न संप्राप्तश्री अर्बुदाचलविमलाचल(:) संघपतितिलककारितयुगप्रधानश्रीजिनसिंहमूरिपट्टप्रभा कर भट्टारक श्रीजिनराजमूरिपदनंदिमहोत्सवविविध धर्मकर्तव्यविधायक सं. आसकरणेन पितृव्य चांपसी भ्रातृ अमीपाल (4) कपूरचंद स्वभार्या अजाइबदे पु० ऋषीदास सूरदास भ्रातृव्य गरीबदासादिसारपरिवारेण श्रेयोर्थ स्वयंकारित मम्माणीमयविहारशृंगारक श्रीशांतिनाथविवं कारितं प्र तिष्ठितं श्रीमहावीरदेवा( 5 ) वच्छिन्नपरंपरायातश्रीबृहत्खरतरगच्छाधिपश्रीजिनभद्र मूरिसंतानीयप्रतिबोधितसाहि श्रीमदकब्बरप्रदत्तयुगप्रधानपदवीधर श्रीजिनचंद्रसूरिविहितकठिनकाश्मीर. विहार वारसिंदूरगज्जणादि( 6 ) [विविध देशामारि प्रवर्तक जहांगीरसाहिप्रदत्त युग प्रधानपदधारक श्रीजिनसिंहमूरिपट्टोत्तंसलब्ध श्रीअंबिकावरप्रतिष्ठितश्रीशजयाष्टमोद्धारप्रदर्शितभाणवडमध्यप्रतिष्ठित श्रीपार्श्वप्रतिमापे( पी ) 34 33७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005113
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJinagna Prakashan Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages780
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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