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________________ लेखाङ्कः-३००। २२१ (३७०) (1) स्वस्तिश्री संवत् १४७५ वर्षे आसाढ--- (2) सुदि ३ सोमे राणा श्रीलाषाविजयराज्ये ( 3 ) प्रधान ठाकुर श्रीमांडणव्यापारे श्रीआसल( 4 ) पुरदुर्गे श्रीपार्श्वनाथमंत्रिचैत्थे । उपके शवं-- (b) शे लिगागोत्रे साहकडूआ भार्या कमलादे पु-- (6) त्र जगसीह वाडरा नूलु केल्हा जगसीह भार्या (7) जाल्हणदे पुत्र खेढा भार्या जयती पुत्र सुहड स(8) ब्लू सहितेन आत्मपुण्यश्रेयसे वालाणामंडपजी(9) र्णोद्धारः कागपितः शुभं भवतु समस्तसंघमांड(10) ण ठाकुर साक्षिकः । ( ३७१ ) (1) ओं ॥ संवत् १३५२ वैशाखसुदि ४ श्रीवा(बा)हडमेरौ महारा( 2 ) [जकुलश्रीसामंतसिंहदेवकल्याणविजयराज्ये तनि(3) युक्त श्रीरकरणे [मं०] वीरासेलबलाउल भां० [म] ग[लप्रभृत यो ( 4 ) ध[मा]क्षराणि प्रयच्छतिन्ति) यथा । श्रीआदिनाथ मध्ये संति (5) ठमानश्रीविनि मर्दनक्षेत्रपाल श्रीचउंड देवराजयो[:] ( 6 ) उभयमाग्री(गी)य समायातसार्थउष्ट्र १० वृष २० उभ यादपि उर्द (ऊर्व) - ૨૯૩ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005113
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJinagna Prakashan Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages780
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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