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________________ प्राचीन जैनलेखसंग्रहे ( 23 ) हणगिरीणां महास्ररीणां वंशे पुनः ( 24 ) श्रीशालिमुरिः त० श्रीसूमतिसूरिः ( 25 ) तत्पट्टालंकारहारभ० श्रीशांतिसूरि( 26 ) वराणां सपरिकराणां विजयराज्ये ॥ ( 27 ) अथेह श्रीमदपाटदेशे श्री (28) सूर्यवंशीय महाराजाधिराजश्री ( 29 ) सि (शि) लादित्यवंशे श्रीगुहिदत्तराजल ( 30 ) श्रीवपाक श्रीखुमाणादि महारा( 31 ) जान्वये । राणा हमीर श्रीषे (खे) त( 32 ) सिंह श्रीलखमसिंह पुत्र श्रीमो - ( 33 ) कलमृगांक वंशोद्योतकारक प्रता( 34 ) पमार्त्तावतार | आसमुद्रमहिमं १९६ ( 35 ) डलाखंडल अतुलमहाबलराणा ( 36 ) श्रीकुंभकर्ण पुत्र राणा श्रीरायमल्ल ( 37 ) विजयमानंप्राज्यराज्ये । तत्पुत्र म( 38 ) हाकुमारश्री पृथ्वीराजानुशासना( 39 ) तू श्री ऊकेशवंशे रायभंडारीगोत्रे (40) राउलीलाप (ख) णपुत्र मं० दूदवंशे ( 41 ) मं० मयूरसुत मं० साहू (ह) ल: । तत्पुत्रा - ( 42 ) भ्यां मं० सीहा समदाभ्यां सहांधव ( 43 ) मं० कर्मसी धारा लाखादिसुकु( 44 ) बाभ्यां श्रीनंदकुलवत्यां पु( 45 ) य सं० ९६४ श्रीयशोभद्रसूरिमं( 46 ) त्रशक्तिसमानीतायां त० सायर Jain Education International ૨૬૮ For Private & Personal Use Only GO www.jainelibrary.org
SR No.005113
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJinagna Prakashan Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages780
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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