SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 294
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेखाज:- ३३७ । ( 47 ) कारितदेव कुलिकाद्युद्धारतः ( 48 ) सायरनामश्रीजिनवसत्यां । (49) श्रीआदीश्वरस्य स्थापना का( 50 ) रिता ( कृता ) श्री शांतिसूरिप( 51 ) हे देवसुंदर इत्यपरशिष्य-( 52 ) नामभिः आ० श्री ईश्वरसू -- ( 53 ) रिभिः । इति लघुप्रशस्तिरि( 54 ) यं लि० आचार्यश्री ईश्वरसूरि( 55 ) णा उत्कीर्णा सूत्रधार सोमा के( 56 ) न ॥ शुभं ॥ # ( ३३७ ) (1) संवत् १६७४ वर्षे माघवदि १ दिने गुरु पुक्ष (ष्य) योगे उसवालज्ञाती[य] भंडारी ( 2 ) गोत्रे सायर पुत्र साहल तत् पु० समदा लखा धर्मा कर्मा सीहा समदा पु० पहराज पद ( 3 ) मा नामा तत् पु० भीमा भं० पहराज पुत्र कला भं० नगा पुत्र काला मं० पदमा पुत्र जयचंद ( 4 ) भं० भीमा पुत्र राजसी भं० काला पुत्र संकर उसवाल जैचंदपुत्र जसचंद जादव मं० शिवा पुत्र Jain Education International (5) पुंजा जेठा संयुतेन श्रीआदिनाथबिंवं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छाधिराज भट्टा० श्रीहीरविजयसूरि ( 6 ) तत्पट्टालंकार श्रीविजयसेनसूरि तत्पट्टालंकार भट्टारक श्री विजयदेवसूरिभिः । ૨૬૯ १९७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005113
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJinagna Prakashan Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages780
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy