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________________ प्राचीन जैन लेखसंग्रहे ( ३१३ ) (1) संवत् १५५२ व० मा[ग]शर शुदि ९ गुरुदिने श्रीपा( 2 ) टणवास्तव्य उसवंसज्ञातीय मं० घणपति १७४ ( 3 ) भा० चांपाइ भाइ मं० हरवा भा० कीकी पु० ( 4 ) मं० गुणराज मं० मिहपाल । करावतं ॥ ( ३१४ ) (1) सं० १५५६ वर्षे वै० सु० ६ शनौ श्री ( ? ) स्तंभतीर्थवास्तव्य श्री सवंश सा० ( 3 ) गणपति भा० गंगादे सु० सा० हर]राज भा० ( 4 ) धरमाइ सु० सा० रत्नसीकेन भा० कपूरा (5) प्रमु० कुटंबयुतेन राणपुरमंडन ( 6 ) श्री चतुर्मुखप्रासादे देवकुलिका का ० (7) श्रीउसवालगच्छे श्रीदेवनाथ (१) सूरिभिः ॥ ( ३१५ ) (1) सं० १५५६ वर्षे वै० सु० ६ शनौ श्रीस्तंभतीर्थ वास्तव्य श्री सवंश सा० आसदे भा र्या सपांडु सु० सा० सांजा भार्या राजी सुत सा० श्री जोगराजेन भ्रातृ समागा ( 2 ) ( 3 ) स्वभार्या प्रथ० सोवती द्विती० संखा सहनो सा० भाकर प्रमु० कुटुंबयु - ( 4 ) तेन स्वश्रेयसे श्रीराणपुरमंडन श्रीचतुर्मुखमासादे देवकुलिका कारिता श्री ( 5 ) उदयसागरसूरिभिः [ प्रतिष्ठिता ॥ Jain Education International ૨૪૬ For Private & Personal Use Only ... www.jainelibrary.org
SR No.005113
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJinagna Prakashan Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages780
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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