SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 235
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३८ प्राचीन नलेखसंग्रहे श्रीरुद्रपल्लीय श्रीम[दमयदेवसूरिशिष्याणां श्रीदेवभद्रसूरीणामुपदेशेन मं० पल्ल पुत्र पं० चाहड पुत्र्या थेहिकया त्रीमदादिनाथविर सपरिकर आत्मश्रेयोऽर्थ कारित प्रतिष्ठितं] च श्रीमद् देव भद्रसूरिभिरेव । (२११) संवत् १२४५ वर्षे] वैशाख वदि ५ गुरौ श्रीकासहदीयगच्छे श्रीउद्योतनाचार्य संताने श्रे० जसणाग चांदणाग जिंदा सुत जसहड जसोधण देवचंद्र जसहड भार्या भालु तत्पुत्र पारस भार्या साढी मातृ रूसू पारस पुत्र आमवीर कुलधर राणु श्रे० देवचंद्र सुत शालिग तत्पुत्र आमचंद्र आसपाल आल्हण आमदेव सुत अजिया भाझेयी समिणि मोई प्रभृति आत्मीयकुटुंबसहितेन श्रे० जस हडपुत्रेण पार्शचंद्रेण आत्मश्रेयोर्थ श्रीपार्श्वनाथप्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता श्रीउद्योतनाचार्थीय श्रीसिंहसूरिभिः ।। मंगलमस्तु ॥ (२१२) सं०९३ [वर्षे मार्ग सुदि १० श्रीअर्बुदाचले कुलधर चेटा फतु सा० नादु पुत्री....... श्रेयोर्थ श्रीमहावीरविंबं का शुभं भवतु ॥ (२१३) संवत् १२४५ वर्षे । श्रीपंडेरकगच्छे महति यशोभद्रमूरिसंताने । श्रीशांतिसूरिरास्ते तत्पाद सरोजयुग,गः ॥ १ ॥ २१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005113
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJinagna Prakashan Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages780
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy