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________________ लेखाङ्कः-२४-२५॥ जहांगीरसाहिप्रदत्तयुगप्रधानपदधारि श्रीजिनसिंहसूरि पट्टोदयकारकभेट्टारकशिरोरत्न श्रीजिनराजसूरि........" __(एपिग्राफिआ इण्डिका-२२६७) (२४) संवत् १६७५ वैशाख सित १३ शुक्रे सुरताणनूरदीजहांगीरसवाईविजयिराज्ये । श्रीराजनगरवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय सं० साईआ भार्या नाकू पुत्र सं० जोगी भार्या जसमादे पुत्र विविध पुण्यकर्मोपार्जक सं० सोमजी भार्या राजलदे पु० सं० रतनजी भार्या मूजाणदे पुत्र २ सुंदरदास सपराभ्यां पितृनाना श्रीशांतिनाथविंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीबृहत्खरतरगछे युगप्रधानश्रीजिनचंद्रसूरि जहांगीरसाहिप्रदत्तयुगप्रधानविरुदधारकश्रीअकबरसाहिचित्तरंजककठिनकाश्मीरादिदेशविहारकारकयुगप्रधानश्रीजिनसिंहसूरि पट्टालंकारकबोहित्थवंशशृंगारकभट्टारकद्वंदारक श्रीजिनराजसूरिसूरिमृगराजैः ।। (एपिग्राफि इण्डिका-२०६७ ) (२५) ॐ ॥ संवत् १६७६ वैशाखासित ६ शुक्रे लघुशाखीय श्रीश्रीमालिज्ञातीय मंत्रि जीवा भार्या बाई रंगाई सुत भंत्रिख वास] वाछाकेन भार्या बाई गंगाई प्रमुखकुटुंबयुतेन श्रेष्ठिभणसालीशिवजीप्रसादात स्वयंप्रतिष्ठापितश्रीविमलनाथदेवकुलं कारितं । श्रीमत्तपागणगगनांगणगगनमणिसमानभट्टारकश्रीविजयदेवसूरीश्वरविजयिराज्ये ॥ ૧૦૫ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005113
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJinagna Prakashan Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages780
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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