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प्राचीन जैनलेखसंग्रहे
पीमजी पुत्र रविजी पितामह भ्रातृ सं० नाथा पुत्र सूरजी स्वपुत्र उदयवंत प्रमुखपरिवृतेन स्वयंसमुद्धृतसप्राकार श्रीविमलाचलोपीर मूलद्धारसारचतुर्मुखविहारशृंगारश्री आदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीमहावीरदेवाविच्छिन्नपरंपरायात श्रीउद्योतनसूरि श्री - वर्द्धमानसूरि वसतिमार्गप्रकाशक श्रीजिनेश्वरसूरि श्रीजिनचंद्रसूरि नवांगवृत्तिकारक श्रीस्तंभनकपार्श्वप्रकटक श्री अभयदेवसूरि श्रीजिनवल्लभ सूरि युगप्रधान श्री जिनदत्तसूरिपाद श्रीजिनभद्रसूरिपाद श्री. अकवरप्रतिबोधक तत्प्रदत्तयुगप्रधानपदधारक सकलदेशाष्टाहिकामारिपालक पाण्मासिकाभयदानदायकयुगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरि मंत्रकर्मचंद्र कारित श्री अकवर साहिसमक्षसपादशतलक्षवित्तव्ययरूपनंदिमहोत्सव वि[स्तार] विहितकठिन काश्मीरादिदेशविहारमधुरतरातिशायिस्ववचनचातुरीरंजितानेक हिंदुक तुरुष्काधिपति श्री अकब्बरसाहि श्रीकार श्रीपुरगोलकुंडा गज्जणाममुख देशामारिप्रवर्तावकवर्षावधिजलधिजलजंतु जातघातनिवर्तावक सुरताणनूरदी जहांगीरसाहिप्रदत्तयुगप्रधान विरुदप्रधान श्रीजिनसिंहरि पट्टप्रभाकरसमुपलब्ध श्रीअंबिकावरवोहित्यवंशीय सा०धर्मसी धारलदे नंदन भट्टारकचक्रचक्रवर्तिभट्टारकशिरस्तिलक श्रीजिनराजसूरिभूरिराजैः ॥ श्रीवृहत्खरतरगच्छाधिराजैः || आचार्यश्री जिनसागरसूरि पं० आनंदकीर्ति स्वलघुभ्रातृ वा भद्रसेनादिसत्परिकरैः ॥ ( एपिग्राफिआ इण्डिका-२६२ )
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संवत् १६७५ मिते सुरताणनूरदीजहांगीरसावाई विजयराज्ये साहियादासुरताणपोस [ डू ] प्रवरे राजनगरे सोबई साहियानसुरताणपुर मे वैशाख सित १३ शुक्रे श्रीअहम्मदावादवास्तव्यप्राग्वाटज्ञातीय से० देवराज सा० ( डू ) डी पुत्र से० गोपाल
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