SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 247
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४६ श्रीचतुर्थस्तुतिनिर्णय भाग-२ ॥ ॐ नमः सिद्धं ॥ अहँ ॥ श्री चतुर्थस्तुतिनिर्णय भाग-२ प्रस्तावना (१) विदित हो के संवत् १९४१ में हम चतुर्मास करने के वास्ते सहर अहमदावादमें शेठ दलपतभाईके मकानमें रहे हूए थे, तिस अवसरमें बडोदरेसे हमकों ऐसा समाचार मिला कि, श्रीराजेंद्रसूरिजी नामक एक जण कितनेक चेलों सहित इहां आए है, और वे कहते है कि, हम श्रीआत्मारामजीके साथ मेल मुलाकात और चरचा करने वास्ते अहमदाबाद जाएंगे, तब हमने सुणके कहा, अच्छीबात है, जब वे अहमदावादमें आए, तब तिनकों किसी पुरुषने पूछा कि हमने सुना है कि, आप श्रीआत्मारामजीके साथ मेल मुलाकात और चरचा वारता करने वास्ते पधारे है, तब श्रीराजेंद्रसूरिजीने कहा कि हम नही जानते है कि श्रीआत्मारामजी कौन है, तब तिस पुरुषनें हमकों कहा कि, वे तो ऐसे कहते है, तब हम सुनके चुपके हो रहै । कितनेक दिन पीछे श्रीराजेंद्रसूरिजीने यह प्ररुपणा करी कि, दीपकके प्रकाश में रात्रिकों साधुकों शास्त्र पढना चला है । यह सुनके हमने विचार करा कि, हमने तो इनकों त्यागी महाव्रत पालनेवाले सुने है, तो यह प्ररुपणा इनोंने क्यों कर करी होवेगी ? क्या अहमदावादके साधुयोंके मनरंजने वास्ते इनोंने यह प्ररुपणा करी है ? क्यों कि अहमदावादके कितनेक साधुयोके उपाश्रयोमें नित्य प्रते दीपक जलते है. तब कितनेक श्रावक कहने लगे कि, मारवाड देशमें ये अपनी श्राविकायोंकों दीपकके प्रकाशमें रात्रिकों पढाते है, इस वास्ते ये ऐसी प्ररुपणा करते है, एक गट्टालाल श्रावक कहने लगा के, मालव देशमें इनोने प्रतिमाजीकी पलांठी उपर पूर्व लिखे लेखकों मिटाके अपने नामका लेख लिखवाया है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004920
Book TitleChaturtha Stuti Nirnaya Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherNareshbhai Navsariwala Mumbai
Publication Year2007
Total Pages386
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy