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आमुख
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तो मळे छे तो ए प्रतिबिम्ब व्यापक प्राकृतमां क्याथी आव्यु-बीजी कई भाषामांथी आव्युं ?
विचारशील अभ्यासी स्थिरपणे मनन करशे तो स्पष्टपणे जाणी शकशे के व्यापक प्राकृतमा जेमनुं प्रतिबिम्ब छे ते बधा प्रयोगो वेदोनी ए समयनी जीवती मूळभाषामां ज हता, अने ते द्वारा ज ते प्रयोगोनो प्रवाह व्यापक प्राकृतमां भारोभार ऊतो. जे भाषामां ए प्रयोगोनुं अस्तित्व ज नथी एवी लौकिक संस्कृतना प्रतिबिंबरूपे व्यापक प्राकृतने केम कही शकाय? ___ वळी, आर्योना ए प्रारंभिक समयमां आर्योमां जीवती वैदिक भाषानो ज प्रचार हतो. ए सिवाय बीजी कोई भाषा लौकिकभाषारूपे आदरपात्र नहीं बनेली एथी अर्थात् एम सिद्ध थयु के वेदोनी जीवती भाषाना ज परिणामान्तररूप व्यापक प्राकृत नीपजेलुं छे. ४३ वेदोनुं अध्ययन करतां चोक्खं जणाय छे के वैदिक भाषानो
. प्रवाह डगले ने पगले जेम व्यापक प्राकृतमा देखाय तळपदी गुजराती छे तेम तळपदी गुजरातीमां पण क्वचित भळेलो ए
अने जीवती वैदिक भाषा प्रवाह अछतो नथी रहेतो. ए हकीकत बे एक प्रयोगो
द्वारा ऊपर बतावी दीधी छे. मने तो चोकस खात्री छे के वेदोन. फक्त भाषादृष्टिए विशेष गंभीर अध्ययन करवामां आवे तो आर्यावर्तनी तळपदी भाषाओमां अने अनार्यभाषाओमां पण वैदिक भाषानो सचवायेलो प्रवाह जड्या विना नहीं ज रहे.
प्रस्तुतमां तो मारो उद्देश वेदोनी जीवती भाषा अने व्यापक प्राकृत भाषा ए बे वच्चेनी सांसर्गिक सांकळ बताववा पूरतो हतो, तेथी तळपदी गुजरातीमां सीधा ऊतरेला वैदिक भाषाना प्रवाह संबंधे विशेष उदाहरणो शोधीने मूकी शक्यो नथी, परंतु ए कार्य करवा जq तो अवश्य छे.
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