________________
आमुख
[४] लौकिक संस्कृतमां त्रीजा पुरुषना एकवचनमां 'ते' प्रत्यय - छे त्यारे वैदिक पदोमां अने व्यापक प्राकृतना पदोमां 'ते' ने बदले 'ए'पण आवे छे.
शये [वै० प्र० ७-१-४१] सेए
ईशे [ऋ० वे० पृ० ४६८ म० सं०] ईसे-ईसए [५] लौकिक संस्कृतमा वर्तमान होय त्यां वर्तमानकाळ अने भूत
होय त्यां भूतकाळ एम काळनो प्रयोग नियत छे, कालव्यत्यय
५ त्यारे वैदिकभाषामां अने व्यापक प्राकृतभाषामां ए रीते काळनो नियत प्रयोग नथी. ए बन्नेमां क्यांय वर्तमानने स्थाने भूतकाळ पण अने भूतकाळने स्थाने वर्तमानकाळ पण वपराय छे.
वर्त० म्रियते ने बदले परोक्ष० ममार (वैदिक) [वै० प्र० ३-४-६] परोक्ष० प्रेक्षांचक्रे ,, ,, वर्त०पेच्छइ (व्यापक प्राकृत) [है० व्या०
८-४-४४७] परो० आबभाषे ,, ,, वर्त० आभासइ वर्तः शृणोति ,, ,, भूत० सोहीअ [६] लौकिक संस्कृतमा विभक्तिओनो प्रयोग नियत छे. द्वितीया
योग्य होय त्यां द्वितीया अने तृतीया योग्य होय व्यत्यय त्यां तृतीया. ए रीते विभक्तिओनी नियतता छे, त्यारे वैदिक अने व्यापक प्राकृतमां विभक्तिओना प्रयोगनी अनियतता छे. वेदोमां अने व्यापक प्राकृतमां चोथी विभक्तिने बदले छट्ठी विभक्ति वपराय छ : [ वै० प्र० २-३-६२] तृतीया विभक्तिने बदले छटी विभक्ति वपराय छे : [वै० प्र०२-३-६३ ]. व्यापक प्राकृतमां कच्चायणना कहेवा प्रमाणे क्वचित् क्वचित् सप्तमीने बदले तृतीया वपराय छ :
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
___www.jainelibrary.org