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________________ ५२ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति प्रत्यय नथी लागतो अने चोथा गणना धातुओने 'य' विकरण लागे छे. ए रीते ते ते धातुओने माटे ते ते गण प्रमाणे जुदा जुदा विकरणोनुं विधान करवामां आव्युं छे, त्यारे वैदिक प्रक्रियाना अने व्यापक प्राकृतना बंधारणमां ते जातनो खास गणभेद नथी अने गणवार जुदा जुदा विकरणोनुं विधान पण चोक्कस नथी. लौकिक सं० वैदिक सं० व्यापक प्राकृत हन्-हन्ति हनति [वै० प्र०२-४-७३ ]हनति-हणइ शी-शेते शयते [ ]सयते-सयए भिद्-भिनत्ति भेदति [वै०प्र० ३-१-८५ ] भेदति-भेदइ मृ-म्रियते मरते मरति-मरइ दा-ददाति दाति [वै० प्र०२-४-७६ दाति-दाइ धा-दधाति धाति [ धाति-धाइ भुज-भुङ्क्ते भोजते [ऋ०वे० ४७४ म०सं०] भोजते वर्ध-वर्धयन्तु वर्धन्तु [वै० प्र० ३-४-११७] वडन्तु [३] लौकिक संस्कृतमा केटलाक धातुओ आत्मनेपदी होय छे । अने केटलाक धातुओ परस्मैपदी होय छे. आत्मनेपद-परस्मैपदनी भारी ना आत्मनेपदी धातुओ माटे आत्मनेपदी प्रत्ययो धातोमाले आत्मनेपदी अनियतता नियत छे अने परस्मैपदी धातुओ माटे परस्मैपदी प्रत्ययो नियत छे, त्यारे वैदिक पद्धतिमा तेम व्यापक प्राकृतमां एवं बंधारण नियत नथी. इच्छति इच्छते [वै०प्र०३-१-८५ ] इच्छते-इच्छए युध्यते युध्यति [ " ] जुज्झति-जुज्झए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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