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________________ अढारमा सैकानुं पद्य तथा गद्य ६२१ राग केदारोश्रीशंकरश्रुतनु* ध्यान ज धरू सरस्वतीने प्रणांम्य ज करू । आदरू जोडवा जश नैशदतणो रे ॥ १ ॥ डोठ नैशधराएनी कहु कथा पुन्य श्लोक जे राए । वैशंपायेन वांणी वदे आरणीक पर्वनो महीमा ए ॥ २॥ राज हारीने गया पांडव वशा दौतकवन मुझार । एकलो अरजुन गयो कैलाशे आराधवा त्रीपुरार ॥ ३ ॥ एहेवे शमे एक तापश आव्यो वेहेदश एहेवू नामी । पुजा कीधी पांडवे ने आप्यो वश्यानो ठांमी ॥ ६ ॥ चातुरमाश ते त्यांहां रहो तेहेनी कुंतीश्रुत करे शेवा ए। रातनी राते वारा करता पांडव चांपे पाए ॥ ७ ॥ एकवार जुधीष्टर बेठा तलाशवाने चर्ण । ते शमे अरजुन शंभारो भराई आव्यूं अंतशकर्ण ॥ ८ ॥ भीमशेन्यनी पाशे जो हु मागु दातणपांणी । तो बडबडतो जाए रीश चढावी मोटां व्रक्ष आपे आंणी ॥११॥ प्रातशामग्री नीकुल पाशे कदाच जो हु मागु । एक पोहोर तां वार लगाडे एटली करे वरणागी ॥ १२ ॥ * लिपिकार, बधे, 'शु' ने बदले 'श्रु' लखे छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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