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________________ ६२२ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति शेहेदेवने जो काम दीउ तो शाधु मंन आंणे रोश । मध्यांने घेरथी नीशरे जोतो जोतो जोश ॥ १३ ॥ दक्षण दीशाए जोगणी छे जो जांउ तो दुख पांमु । पुरव दीशाए परवरू तो चंद्रनु घर शांमु ॥ १४ ॥ एहेवी रीत तो त्रणे भाइनी मे तो रहु नव जाए । द्रुपदीने मोकलु तो कोइ हरण करीने जाए ॥ १५ ॥ वण मागे वेलाए आपे मुने जे जोईए ते आंणी । फल जल मुख आगल लैई मेले ते तो गांडीवपांणी ॥ १६ ॥ तेहनां गुण हु नथी वीशरतो रहो छउ रूदयामां राखी। श्रुष शंतोष वीनां छउ श्रुनो मुनी हु पारथ पाखी ॥ १७ ॥ नीस्वाश मुकीने धर्म एम केहे छे कोहोनी बेहेदश रूपी । वन क्शवूने वीजोग पड्यो हु शरषो कोई दुषी ॥१८॥ राज आशन भुवन रीध शीधने हारी। एहेवू कोहोने थयू हशे स्वामी पीडा पांमी नारी ॥ १९॥ वलता ब्रेहेदश एणी पेर बोल्या श्रु आंणे वैराग्य । नल दुख पांम्यो अरे पांडवो नथी तेहनो शोमो भाग ॥२०॥ रूप राएनु न मले धन नल नरेश शमांन । तेहना जेवु कष्ट तमो नथी भोगव्यू राजांन ॥२१॥ भीमक कुमारी नलनी नारी रूप कहु श्रु मांडी । ते नारी जाहां नही फल पाणी नले ते वनमा छांडी ॥ २२॥ दाशी रूप धरू दमयंती कुबडु थयू नलनु गात्र । तेहना दुख आगल अरे राए जुधीष्टर ताहारू दुख कोण मात्र ॥ २३॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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