SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 597
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५७४ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति जूनां धान हुइ बलहीण तिणि करी देह थाइ खीण । असी वात राउल जे भणइ बीजि दिवसि महाजन सुणइ ॥ १२३ ॥ राजंगणि सवि ग्या संचरी पहिल सवि सहू मेलु करी । जई रा लगुनि भेटणं करूं मोती भरिउ थाल ते धरु ॥ १२४ ॥ वीवहारीया राय वीनवइ अह्मो आलहिणूं करिसूं सवइ । करयो वेढि, म छंडु मान वरस साठि पूरीसिंउ धान ॥ १२५ ॥ रामसींह फडीउ इम भणइ कण कोठार घणा अह्म तण । मग चोखा जब काठा गहुं पूरूं वरु जु आयस लहु ॥ १२६ ॥ वीरम भइ उधारु जीउ वरस त्रीस हूं पूरुं घीउ । मागूं सीख पसाय अझ कर भुंजाइइ बिमणउं वावरु ॥ १२७॥ जइसी दोसी इम भइ वस्त्र वखारि घणी अतणइ । लेवा तणी म करसिउ माठि कापड हूं पूरूं वरस साठि ॥ १२८ ॥ भोलु साह भइ लिउ तेल असी वरस पूरुं दीवेल । बाले एलु छइ पारु वलते वारे नाहणं करु ॥ १२९ ॥ राय भइ महाजन परि कही कोरुं धान जिमाइ नहीं । जमलि साखि दीइ परधान ईंधण विण नवि पाचइ धान ॥१३०॥ मोहणसाह कहर ए परि वात एतली छड् पाधरी । सूकडी अगर अह्मारइ घणां वरस साठि पूरुं ईंधणां ॥ १३१ ॥ राय भणइ ई साचूं सही पाखइ गोल न सकीइ रही । भीमु साह ईणी परि भणइ देउल मन भाजु आपणइ ॥ १३२ ॥ वरस अढार लगइ त्रापडा गुल ढीकलीइ पूरूं गडा | तेह पारखूं जोउ राय गुलनु गोलु बिमणु जाय ॥ १३३॥ ( पृ० ८२ ) X X Jain Education International X For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy