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________________ ५५८ कि क्रि० गया का तेह्नई तेवू सर्व मांडी एकांति गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति ना० ना० आपणु (-णो) आई आवी तहमनई का घरमांहि निःश्वास लूंस्या बइशी जेह्नई जिहां नापिउ (न आप्यो) आविआ जेवी वृत्तांत करिउ ( कों) कहूं दुहुविआं(दुहव्यां) थाइ पछई भीमि नीपना | कहइ छइ आ ज्यमिवा (जमवा) करशु (-शो) शा माटि मुहुनइं (-ने) बइठु भांजशि (-शे) राइ (राय-राजा) उवेखिआं कहूं आज मोटा पोष्यूं मई (में) झरइ मुखिथु कुहु (कहो) त्याज कणकोठार ज्यमूं आपिऊं (आप्यु) तव (त्यारे) अन्नकाजि ऊपरि भोगवू पाम्या नयणे) ऊठिआ सांभलु १९३ सत्तरमी सदीनी उक्त त्रण कृतिओमांथी लईने जणावेलां सवि भक्तिक नामो अने क्रियापदो ऊपरथी स्पष्ट जणाय सत्तरमी सदानी ले के ते कतिओनी गुजराती भाषामां अने अद्यतन भाषामीमांसा गुजराती भाषामां नहीं जेवो ज भेद छे. केटलांक रूपोमां जूनापणुं टक्युं छे; परंतु वधारे प्रमाणमा ते नथी रह्यु. विपत उच्चरइ आव्यू पूर्वे मूकी पर वट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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