________________
आमुख
असंभवित छे. आवी परिस्थितिमा बन्ने प्रजा अमुक प्रकारनी बांधछोड जरूर करे एटले शासक प्रजा, पोतानी मूळभाषाना शब्ददेहमा पराजित प्रजानी भाषाना अनेक शब्दो आववा दे अने तेमनुं उच्चारण पोतानी ढबे करे पण पराजित प्रजा समझे एवं अने पराजित प्रजाओए पण तेमनी मूळभाषामां विजयी प्रजानी भाषाना शब्दो भेळवी अने तेमनुं पोतानी ढबे पण शासको समझी शके एवं ज उच्चारण करवु रह्यु.
आम बधां अनेकविध सम विषम उच्चारणोनी असर भाषा ऊपर एवी चालु रहे छे के जते दहाडे ते असल भाषा केम जाण्ये खोवाई न गई होय अने तेने स्थाने प्रजामां तद्दन नवी भाषा न आवी गई होय एवी परिस्थिति आवी जाय छे. वखत वहेतां आर्योनी भाषा पण ए ज स्थितिमां मूकाई गई हती.
२८ जेम अत्यारे अंग्रेजो आपणाथी अतडा रहे छे, आपणामां भळता नथी, भळवू पडे त्यांय अलिप्त जेवा रहे छे, आपणी साथे तेमनो कौटुंबिक संबंध नथी तेम ते वखते आर्योए नहीं करेलु. एओ तो जेम जेम विस्तरता गया तेम तेम अनेक आदिम जातिओना
सहवासमां आवता गया, विविध जातिनी आदिम आर्योना अंतःपुर जनता ठेठ आर्योना अंतःपुर सुधी पहोंची गई, सुधी . आदिम आदिम जातिनी अनेक रमणीओए आर्योनुं गृहिणीपद जनतानो प्रवेश अने तेनी भाषा साना
: शोभाव्यु, आम शासक अने शासित बच्चे लोहीनो ऊपर असर संबंध बंधायो अने अनेकानेक आदिम जातिओ
__ आर्योमा ओतप्रोत थई गई. आवी परिस्थितिमां शासक अने शासित बच्चे कयो व्यवहार नहीं प्रवों होय ? लेवडदेवडनो, प्रेमनो, विद्याना आदानप्रदाननो, कलहनो, एक बीजाना मनोभाव समझवानो,
आदानप्रदानवहार नहीं प्रबार आवी परिस्थिति
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org