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क्रि०
तेणे
हूं
कां
पड्यो
पायं.
५५४ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति नाम नाम
कि० माहि (मा) ते
छि
लीधो अविनय कीधांना ल्यावी ढूं छ (छे) शुकिं (-के)
राखो पधारा (D) राजानि (-ने) पांख
राख्यो प्रधान
लाव्यो जत
कहि छि एहनि
पूर्छ (-छ्यु) मोहलमां तमनि ( -ने)
मागे प्रगणे २२ पछि
जाणी शुकनि (-ने) नवापुराना लाव्यो
करी क्षेत्रमाहि माहजन त्यहां विठ (वेठ) पालतो अगस्त्यनो पछइ (-छी) मरडी माहरी पोतानो लीधो तेहने कांठिं तेहनि (-ने) पड्यो शीबलनूं एकशुक (कशंक) रहों कां तेहना
कहशुं विना
बिसारी
कही कोटरमा पुत्रादिके (४०) यो
सांभलो मुनि (-ने) वृक्षतले
रहि (हे) | कही ( कहेली) ऋषिनी पासे
आवतां कहि छह पांदडाना पड्यो सूंपी (सोंपी) मुनि, मुनें (-ने ) पुंजमां दीठो | करि (२)
३२२ नीचे रेखावाळा शब्दो अमरेलीना शिलालेखना छे.
बिठा हता लेई गयो
पूर्छ
दीठो
थयो
जणतां
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