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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
क्रि०
क्रि०
रली
टेव एक
आव्यो
जाण्यूं
हएस
नाम तोरी नात्य सार्थ अभिदान अवयं गिहिलो मिहिणूं
प्रीत्य
आव्यो सुष्य नथी भालवेश (भळावीश) छूटशो छोडशो हणी निवारी पूरिआं पामिओ
मूकी छि किहि छि कहीश
पिरि
भाभी नरसिंआनी
तम्यो
रीसाव्यो ग्यो
कीधु
जपि
राक्ष, राक्ष्य कीजि
दीजि आवी देखाड्यो बोल्या
जीभलडी कोण शृंगारमाहि अणबोल्यो गर्भवासतY
कहि
धरो
छि
मुहनि
धायो होइला
अहमो-अहम्यो यहिंई, यवारि विना भाइ रीस पिरि त्यहां व्यचार गोपेश्वर तूंहनि वाहलं क्रिया सोल
का मूकशू
गैला
कां क्यम-क्यमे नरसिंनि वैकुंठि गायना
थाशि
कयू
मेहल्यु आपशि चढी
पीयूला आपी खलभलशो मारशि भीजशि थाइ
रात्यदिवसे
। सेवां
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