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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
नाम
१८२ लावण्यसमयक्रि०
क्रि० धरी नमीय लीइ
घोली
नाम रसि (ऋषि) नांमई दुरीया
| आगलङ बोहातणउं घणउ
अछ। बोलिसु
दूरि
त्रीजउं
जेहना
जयु लही कहिसई सुणज्यो करइ वेचाई
आवी आपिया करि वुहरी वलिउ
प्रहि ऊगमि प्रणमतां नवइं निधान
वागी
भोजनि
लपठइ
जाण आणइ
जेहवा ठाम सङ आदर नाम
आठ चित्रकुट-पासई बोहा, धनहीणउं
ढली जाणीइं
कह
नमई
घर
जयु हुइ करइ
भला केतला भारति भगवति मनि गुरूपय पवित्र जस जसवाय बुद्ध पारि
कूडली
चडवा
भरइ
तेल-पतर्नु व्यवहार चउहटई
वाधा
रहई कहई
पोढइ
ऊधरइ जाई भटकई
नमाया नडाया
द्राम
धन
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