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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति जउ विभन्न विहच्यउ विहच्यउ देव अनइ राक्षसी विद्या पापकमियारहई नइग्रहउ करइ अछड्।
१०. अनइ जीउं सत्यवंततणउं दानशीलीया दादारतणां स्छानइकु तीउ तउझरहई देषाडउं अनइ जीउं असत्यवादीयांतणउं स्छानकु तीर्ड देषाडउं ।
११. अनइ जीउँ स्छानइकु शुद्धिप्रबोधीयां नइमेलबोध ज्ञानवंततण अहउरमज्दस्वामीतउ अमरतउ गरूआतउ अनइ स्वर्गलोकीय सउंदर रूडा सउषतउ अनइ नरकीय नइग्रहतउ अनइ भला शबोच्छान मृतक उठ्यातणा शरीरतणउं अक्षयत्वतणउ स्छानिक अनइ ईअब्दतणा अस्तित्व
आथइपणातउ अनइ देवतणा नास्तिकत्व अणछतापणातउ जीउ स्ठानकु तीउं सहऊए तुझरहई देषाडउं जइम तऊं पृथ्वीमांहि जि काई दीठऊं हउइ तीउं सुहए कहइ ।
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