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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य
[३] १. अनइ तेह अग्विीरा पुरुषतणा शरीरतु आत्मा जीव चकातदाइती इसइ नामि पर्वत अनइ चंदोरपुहलि नामि मांचि पहुतु । सातमइ दिवसइ आत्मा वली आव्यः । तनउ सरीरमांहि आव्युः ।
२. अग्विीरा पुरुषः वस्त्र उपर थकु ऊथ्यउ । जाणे किरि तउ सुखनिद्राथकु ऊथ्यः । उत्तम निर्मलु मनु अछइ अनइ उत्तमरहई आनंद करई ।
३. तेहे भार्या कलत्रि अग्विीरा दीठउ अनइ जोइउ । पछइ पछइ तेह स्त्रीरहइ उत्तम आनंदु हऊअ जाणे किरि ते स्त्री स्वर्ग(ग)भुवनइ जीवती नींपनी अछइ । पछ तेहे एवंद आगलि अग्विीरा पुरुषरहई प्रणाम नमस्कार कीधउ । अनइ गुस्तास्प राजा आगलि जई अनइ दलग गोस्पदस्त फरइसुस्त्र मइदीओमाह अनइ बीजाइ मज्दईअलरहई प्रबोध दीधउ ।
[४] ७. जंअं प्रचउर चालइ तउझरहइ तीणइं स्वर्ग करी अनइ सखाईआ थाउं स्वर्ग्रलोक अनइ नरकलोकइ अनइ चंदोरपउहउलइ जातां बलिषांच नही।
८. जअं स्वर्गलोकतणी समृद्धि रद्धि समाधानउ रूडउं अतहइ सउखउ उत्तमक्रीडा रुलीआतपणउं अतहइ वइनोद उछव रामति अनइ सउगंधपणउं तुझरहइ आव देषाडउं । अनइ मुक्तात्मारहई जेउ आनंद हर्ष अछइ।
९. अनइ नरक भउवन घोरांधकारं अतहइ मलिन अतहि रौद्र अंधकार महाभयंकारी द्रउगंध अछइ तीउं तउझरहइ देषाडउं । अनहु
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