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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
जु तहमो मज्दईअस्न ईउ इसुं म करु । जउ अमइ सात बहइन अछउं अनइ सातइनउ एउ एकु जि भतर अछइ । अझइ सातइ बहइन एह भर्तारतणी कलत्र अछउं । जइमु एकु धर सातषणउं हुइ । तेहि सात षण हेठइ विचालइ एकु स्तंभ कीधउ अछइ । जइ कमइ ते स्तंभ काढीइ तु सातइ षण पडइ । पछइ गुस्तास्प राजा तअं वचन सांभुली कोपु कीधउ । तीह स्त्री प्रति राजा बोलिउ। जउ तहमरहइं महावायु लिउ । व्याघ्र तह्मरहई खाउं । तमारां हाड लुंडी ताणउ । ____४. पछइ अग्विीरा पुरुषइ जिम दीठउ जउ गुस्तास्प राजा कोपु कीधउ, राजारहइं अग्विीरा पुरुषइं संतोष दीधउ । तेउ अग्विीरा पुरुष गुस्तास्प राजा आगलइ गइय । हाथ बेहू जोडइया । स्तुति अपार घणी कीधी । तउ अग्विीरा बोलइय। जइ कमइ आदेश हुइ तु षाद्य पाउं । आत्मा आराधउं । सुपणउं करउं । पछइ मंगि ऊषधी दीधी। पछइ गुस्तास्प राजां आदेश दीघउ, बोलिउं जउ इसुं करइ ।
५. पछइ अन्विीरा पुरुष आपणइ अग्निस्छा(स्था)नक गिउ । तीणइ अग्विीरा पुरुषई इजिस्नि कीधी आत्मा आराधय षाद्य षाधउं। तेहे स्त्रीए मंगि ऊषधी सज्ज कीधी। अनइ पात्रि ठाहरि मधूभक्षण सरसी घाली । अग्विीरा पुरुष हेठ वस्त्रि बइसइ । राजारहइ अनइ बीजां मज्दईअस्नरहई जणाविवउं कीधउं। पछइ गुस्तास्प राजा अनइ अपर बीजाइ मदईअस्न आव्या । तेह अग्विीरा पुरुषरहई मंगि ऊषधी दीधी। वस्त्र ऊपरि सुआरिउ। अनइ एवंद कीधा गहि सारी । जिम ते एवंद अग्विीरा पुरुषतणउं सइरु पुहरि बइठा राषइ अनइ नस्क अवस्तावाणी पढइ उच्चरि.
६. अनइ ते साते भार्या अग्विीरा पुरुषतणा वस्त्र पालि फिरीनइ बइठी अनइ अवस्तावाणी उच्चरइ अछइ । जांजाण सात अहोरात्र हुइ.
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