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________________ चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य ५३३ किम करूं ? ए राजसिंह कुमार नगरमाहिं जीणइ जीणइ सेरीइं सांचरइ तिहां तिहां आपणां बालक रोव्यतां मूंकी मूंकीनइ सौभाग्यना व्यामोहिआ स्त्रीना वृन्द गमे गमे जोड़वा धाइ. अह्मारां घरनां काजकाम सघलाइ सीदाइ छइ xxx पछइ कुमर कहइ-मित्र! चालउ तेह देशांतर xxx भणी जईइ. x इसिउं विमासी बेहू जण षड्ग हाथि लेई तिहां भणी नीकल्या. ठामि ठामि अनेक आश्चर्य जोअता जोअता जाइ छइ. एकवार अरण्यमाहिं सूनइ देवकुलिं सूते कहिएक पुरुष- करुण स्वर सांभलिऊ. कुमार ऊठी षड्ग हाथि लेई तेहभणी चालिउ. आगलि गिउ देषइ तु विकराल राक्षसइं पुरुष एक कक्षामाहं चांपिउ छइ. ते आक्रंद करइ छइ. कुमरई राक्षसहइ कहिउं-ए बापडउ मूकि , ईणई ताहरु सिउं विणासिउं.?" पृ० १६७ थी संवत् १४७१ पारसी पंडित लक्ष्मीधर बहेरामजी-अग्विीरा (गुजरात वर्नाक्युलर सोसायटी संग्रह) [२] १. पछइ ते सातइ बइहइनि तेह अग्विीरा पुरुषतणी सातेए भार्या हुई, तीह सातइरहई दीनतणउ कोमल नावर कीधी अछइ ॥ २. जउ तेहे स्त्री एतलडं वचनु सांभल्यउं सांभल्या पछी अपार दुःखिनी थई, यम तीह स्त्रीरहई महाभारतर दुःख पामिउं ॥ .. ३. ते स्त्री गुस्तास्प राजा आगलइ अनइ अपर बीजा मग्दईअस्न आगलि गेई । नमस्कार कीधउ । पछइ ऊभी रही। तेहे स्त्रीए बोलिउं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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