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________________ ५३२ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति बापुजी साथि पहुती. पिता परोक्ष हूआ, पूठिई जं वाहणमाहि घातिउं तं समुद्र सातिउं. कई वाणउत्रे ग्रसिउं, हाट चोरे मुसिउं, थलवटनउं थलवटइ रहिउँ, कांई ठाकुर अहिउं, घर बलिउं, समग्र मंडाण टलिडं, समग्र द्रव्य निस्तरिउं, एकलक्ष द्रव्य ऊगरिउं. पछइ अवर काजकाम छांडिडे, प्रवहण पूरिवा मांडिउं. भलइ दिवसि प्रवहण पूरिउ. त्रिन्नि सई साठि क्रियाणां चडाव्यां, सप्तविध पकवान चडाव्यां, सप्तविध करंबा लिया, पोता सपाणी भरिया, देव समुद्रवायस पूजाव्या, पाभिल मादल वाजिवा लागां, बावरि कोलणि नाचेवा लागी, गलेला हेलाहेल करवा लागा. कूउषंभउ ऊभउ कीधउ, नांगर ऊपाडिउ, सिढ ताडिउ, घामतीउ घामतउ लीचइवा लागु, वाऊरीऊ तलि पइठउ, नीजामउ नालि बइठउ, आउलां पडइं, सूकाणी सूकाण चालवई, मालिम वाहण जालवई, सुरवर लहलह्या, वादित्रनादि समुद्र गाजी रह्या.” " छासिइं केरउ आफर दासिइ केर नेह ।। कंबलकेर मोलीउं पिसत न लागइ पेव ॥” पृ० १४०-१४१ (४) संवत् १५००-हेमहंस“ पुलिंदानु जीव मरी जंबूद्वीप मणिमंदिरि नगरि राजा मृगांक राजा, विजया राणी, तेहनइ गर्भि अवतरिउ. xxx महोत्सव करी राजसिंह कुमार नाम दीधउं. मउडइ मउडइ बहुत्तरि कलापारीण हूउ. xxx मतिसागर मुहतानउ बेटउ सुमतिकुमार. तेहसिउं राजसिंहनइ मित्राई छ। xxx तिसई नगरलोके मिली राजाहइ एकांतिं वीनवइ-स्वामी ! अझे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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