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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य ५३१
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संवत् १४५७ सोमसुंदर" ताम्रलिप्ती नगरीइं तामलि श्रेष्टि वैराग्यई तापसी दीक्षा लिइं. नदीनई तटिं साठि वर्ष सहस्र तप करिं पारणइं भिक्षा चिहुं भागिं करई. एक भाग मत्स्यादिक जलचररहई दिइं. बीजो भाग गोग्रास-स्थलचररहई दिइं. त्रीजो भाग काकादिक खेचररहई दिइं. चउथु भाग २१ वार पाणीई धोई पारणुउं करई." पृ० ७६. ___ "श्रीमहावीरनु जीव श्रीआदिनाथनइं (समयि ) भरतेश्वरनउ बेटओ मरीचि नामि हुतउं. श्रीआदिनाथकन्हई मोकली दीक्षा लिवरावीओ. एक वार ग्लान थिओ. मनमांहिं जाणिउं–को सरवा(सखा ?)ईओ करउं. पछई कपिल क्षत्रीरहई धर्म कहई. बूझ्या, पूठि श्रीआदिनाथ कन्हइ दीक्षा लेवा मोकलई. ते पूछई-तूं कहई किसिउं धर्म नथी श्रीआदिनाथ कन्हई कां मोकलई ? पछई मरीचि कहिउं–कपिल ! धर्म इहांइ छई, परई छई. इसिउं माइउं गोईउं वचन बोलिउं, तीणई करी मरीचि कोडाकोडि सागरोपम भमिओ. पछई श्रीमहावीर थिओ.” पृ० ७९
संवत् १४७८-माणिक्यसुंदर"सव्वे भल्ला मासडा पण वइसाह न तुल। जे दवि दाधा रूंषडां तीहं माथइ फुल्ल ॥” पृ० १३५
"अंगदेशि श्रीपुरिनगर, तिहां श्रेष्ठि लक्ष्मीधर-श्रीलक्ष्मीई सधर. तेहतणु पुत्र हुं श्रीपति पणि विषम देवगति. दस कोडि द्रव्य हूंती पणि
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