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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य
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मुझ स्वामि होमसइं एवनौ एक गहीय बीजा गहिसु । धसि लिद्ध धगंतौ लकहूं तीण ऊडी ग्या सई सहस ॥ २३ ॥ खित्तीय तीजइ पुहुरि दैत नयरीदिसि दिक्खइ । वितर वंसइ बंधि पूठि थ्यौ परिकम पिक्खइ । सत्त कमाड ऊघाडि रायसुति सूती लीधी । आणी आपनिवासि युवति जागती कीधी। मुझ वरि कि समरि जीण ऊगिरह बिहु त्रीजउ समरूं सभट । पडछांहि ऊभ असिमर सरिस कीय कंकाल बिखंड घट ॥२४॥ चउथइ चतुर चकोर वीरवंसुद्धर जग्गै । तां ऊठवि मडूं मुरेडिउ जूअजीअउडु विमग्गै । सुद्द भणइ त न सारवट्ट कवडी न कडत्तह । तिणि तक्खणि आणयौ पाट जीण राइ रमंतह । शरकमल हराविउ हेलरसि प्राणिप्रेतग्रह टालियौ । त्रिहुं मित्र अजग्गिइ एकलई तिह ति पिंड प्रजालयौ ॥ ॥
राउ हरषिउ राउ हरषिउ सुतह संपत्त । तव नयरी आणंद हूउ पंचशबद वाजिन वजइ । माय ताय जोहार किय गरूय वीर गंभीर गजइ । तिणि अवसरि पय प्रणमया सुदयवच्छ तिणि वार । माडी आसीसह दिइ राउ सिरि सुंपिउ भार ॥ ७२ ।।
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