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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य बांध्या राय विछोडइ बंध पी कुवेला ऊडइ कंध ।
गढगाढिम नवि सीझइ अत्थ तिणि वेला वाणीउ समत्थ ॥ ३१ ॥ दहा
सूदा ! तुहाला साथ थिउं आंतरू अति उरतउ। हब जोसिइ जगनाथ साहस सामलया भणइ ।। ४९ ॥ उंले आंतरिएहि तड पइलुं पामीउं नही । बाहण विचि विहि लेहि निहरइ नीजामा पषड् ॥ ५० ॥ ऊभी आस करेहि अबला आहेडी तणी। बर पइंठउ वि मरेहि केसरिनां पग किम नीसरइ ॥५१॥ नाह तुहाला नेह किम ऊसंकल एक भवि । जां दसवार न देह ए आपणउ न होमीइ ॥५२॥ माणिकठि जलेहि पडइ तउ प्रापति पामीइ । नाह नवेरइ देहि दरसणि देषेवू थिउं ॥ ५३॥ आसाल्धी एक पीहरि मेलही पारणी । तिहनइ आज अनेकि ऊचाटइ ऊपांपलां ।। ५४ ॥ सूदा शोक सरोष मनि माहरइ कांइ नही । सही समे घड लाष कीधां आज अणोसरा ॥ ५५॥ जिणुणी काजि न दीह आंक्या आवेवातणा। ते लेपेतां लीह करी कुडेरं दाझिसइ ॥ ५६ ॥
आगइ एक न धरि वाआहि अनइ पंच पुहुता पडमाहि । अतिऊंचा अंजनवनदेह किरि महिमंडलि आव्या मेह ।। ८७ ॥
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