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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य
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करइ राज सालिवाहण राउ वइरीतणइ विधंसइ ठाइ । अऊठ पीठ पहिलं पहिठाण सामीय आलितणूं अहिठाण ।। ७५॥
वस्तकंत संभलि कंत संभलि कहइ कमलच्छि जु मई लुप्पइ मयरहर ते न पालि पत्थउ करिज्जइ । सीह विच्छूटइ संकलह ति किम देव दोरी धरिजइ । हत्थी अंकुस अवगणइ किम साहीजइ कन्नि । तिम प्रियतम पाधारतां मुक्क विमासण मन्नि ॥ ७८ ॥ सुणि सुदयवीरवयणं सच्चं जं चवइ सावलिंगी ए । पिय दिवस पंच पच्छइ तिहि गमिसु जिहि न पुच्छेसि ।। ७९।। तिणि वयणि सुद्द जंपइ मणि धरेवि रोसो हसेवि मुहकमले । तिहुयणि ते को ठाणं जिहि जुवई रहइ मह महिला ॥ ८० ॥ वयणशशी नयणमई हंसगई उरि करिंद मग्गि हरी ।
कणय पहाणंगंगी जत्थ तुयं तत्थ जीवभमणं च ॥ ८१ ॥ तिणि वयणि सुद्दवीरो गहबरिउ लग्गगल इसि वलंतो। गयगमणि म धरि दुहिलिउ निवारि नयणंमि नीर भरियाई ॥ ८२ ।।
हव अडयल
वलियौ रमणी रोयंति वारिहिं । लोअण लोहि सकज्जल वारिहिं । अबल जि नावू बुल्लइ वारिहिं । जं मणि मुणइ स करे तिवारिहिं ॥ ८३ ॥
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