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________________ चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य ५२५ करइ राज सालिवाहण राउ वइरीतणइ विधंसइ ठाइ । अऊठ पीठ पहिलं पहिठाण सामीय आलितणूं अहिठाण ।। ७५॥ वस्तकंत संभलि कंत संभलि कहइ कमलच्छि जु मई लुप्पइ मयरहर ते न पालि पत्थउ करिज्जइ । सीह विच्छूटइ संकलह ति किम देव दोरी धरिजइ । हत्थी अंकुस अवगणइ किम साहीजइ कन्नि । तिम प्रियतम पाधारतां मुक्क विमासण मन्नि ॥ ७८ ॥ सुणि सुदयवीरवयणं सच्चं जं चवइ सावलिंगी ए । पिय दिवस पंच पच्छइ तिहि गमिसु जिहि न पुच्छेसि ।। ७९।। तिणि वयणि सुद्द जंपइ मणि धरेवि रोसो हसेवि मुहकमले । तिहुयणि ते को ठाणं जिहि जुवई रहइ मह महिला ॥ ८० ॥ वयणशशी नयणमई हंसगई उरि करिंद मग्गि हरी । कणय पहाणंगंगी जत्थ तुयं तत्थ जीवभमणं च ॥ ८१ ॥ तिणि वयणि सुद्दवीरो गहबरिउ लग्गगल इसि वलंतो। गयगमणि म धरि दुहिलिउ निवारि नयणंमि नीर भरियाई ॥ ८२ ।। हव अडयल वलियौ रमणी रोयंति वारिहिं । लोअण लोहि सकज्जल वारिहिं । अबल जि नावू बुल्लइ वारिहिं । जं मणि मुणइ स करे तिवारिहिं ॥ ८३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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