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________________ ५२२ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति चडंति षेवि जे जुडंति ते तुरंग आणयू जे सुद्धषित्त सालिहुत्त लक्षणे वषाणिउ। पायाल हुंति कीकी पयड होम दीउ आसणे सोहंति सुदय क्सवीर ते तुरंग आसणे ॥ ९५ ॥ चिहुं दिसि चामर ढलइ ए सिरवरि ए सोहइ छात्र । विप्र वेउ-धुनि उच्चरइ ए आआ आगलि ए नानाविध पात्र ॥ बहु बंदिण कलरव करइ ए ॥ ९६ ॥ करंति बंदिणा अणिक मंगलिकमालयं । विचित्त नित्ति पत्त पाडराग रंगतालयं । चडी तुरंगि चंगि अंगि सार सुंदरी रसे। ति चालवंति नारि च्यारि चामरं चिहु दिसे ॥ ९७ ॥ वर आगलि थिउ संचरइ ए आआ राण ले ए सरिसउ राउ। पायदल पार न पामीइ ए आआ बलीयडउ ए नीसाणडे घाउ । हय दीसइ गयरायसारसी ए ॥ ९८ ।। करिति सारसी गइंद संडिसुंडि डंबरं नीसाणढोलढक्कघाउ हुअ ताव अंबरं । उचित्तवाउ दिति राउ वेगि ताव रइकरो प्रेमि सुदयवच्छवीर पत्त __ तोरणइ वरो ॥ ९९ ॥ गयगामिणि गुण विन्नवइ ए आआ शशिमुखी ए करइ सिणगार । हार एकाउलि उरि ठवइ ए आआ कंद' ए समउ कुमार अहिण वउ इंद नरिंदवरो ॥ ३०० ॥ नरिंद इंद मत्त लोइ लोयमज्झि सोहए अदिदिट्ट माणिणी मणंतरंगि मोहए। भवानिपत्ति पायभत्ति कंत लद्ध कामिणी ते सुद्दवीर वन्नवंति गे गयंदगामिणी ॥३०१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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