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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य
गयगमणि रमणि तुरगय गमंत झड अनिललग्ग अंगज नमति । पयपंकय लंकतलि चिडरडंति पतिभत्ति चित्ति धरि चडवडंति ॥ ४७ ॥ जस जंघजूअल वररंभथंभ पिथल कि उरथल करिण कुंभ । करपल्लव नव शाषा अशोक सौवन्नवन्न सारीररोक ॥ ४८ ॥ मुखकमल अमल शशिहरसरिच्छ निलवटि तिलय ताडीक मच्छ । कुंडल कि कन्नि पायार मार कोसीसनिकर परिगर अपार ॥ ४९ ॥ तिलपुल्ल नास संजुत्त मत्त त्रडि दाडिम दंत अहरा रगत । अंजनसह षंजनसरिस नित्त सीमंत कुंत किरि मयरकित्त ॥ ५० ॥ हुइ भइ कामकोदंडमंड कटि बिंब प्रलंबित वेणीदंड ।
उर हार तारश्रेणीसमान तनमंडल अवर न उपमान ॥ ५१ ॥ नाह कुरंगा रंणथलि जलविणु किमु जीवंती । नयण सरोवर प्रीतिजल नेहिनं नीर पियंति ॥
धरवीरराय धूआ मुहुसाले मज्झ राय नरवीरो । वर वीर सुदयवच्छ वंछउं शिव पुज्जि हे सहि ए ॥ ८ ॥ कलिजुग कामुकतित्थो पत्यंतय अत्थ साहए सयलो । मास अवहि अग्ग मणवंछिय देव माहेसो ॥
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हव धउल; राग धन्यासी
आसणतणर अणाविउ ए नरवरिई ए तरल तुरंग | साहणपति पणाविउ ए पलाणि पवंग ।
तीणइ वरराउ चडाविउ ए ॥ ९४ ॥
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