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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य
(३) सदयवत्सचरित्र उर्फे सदयवत्सप्रबंध संवत् १४८८- कर्ता भीम कवि-(आचार्य श्री आनंदशंकर ध्रुव संपादित वसंत वर्ष १५ अं० ३-७ वर्ष १९७२)
संवत् १४८८ वर्षे फाल्गुन x x x भौमे श्रीपत्तने लिखित विद्वज्जनमनःप्रमोदाय विनोदमात्रम् । छ । श्रीः । इम भणीइ भीम तसु गुण थुणिसु जो हरसिद्धि वर लब्ध ।
अथवा कवि भीम तास गुण विन्नविसु जो हरसिद्धि वर लब्ध वस्त
विप्प जंपइ विप्प जंपइ निसुणि नरनाह । जयवंती ज्योतिषकला कुलकम्मि अम्ह अछइ अग्गइ ।
वत्तारउ संवच्छरह नष्ट-जन्म नवि चित्ति लगइ । जं सुरपुरि जं नरभुवणि जं जं हुइ पायालि ।
नरवर निजमंदिरथिकू तं जाणूं तिणि कालि ॥ १५ ।। लगन लिहंत वहंत तीणइ कहीय षडि कर झल्लि ।
जइ पुच्छिसि पहु वच्छ पहु मरइ ति कुंजर कल्लि ॥ १९ ॥
धाइ धसइ अनइ धडहडइ किरि आसाढि अंबर गडअडइ ।
आपूं अंगतणउं शृंगारु आफू एकाउलिनउ हार । आफू अधिक वलीउ पसाउ जे बलीउ बांधइ गजराउ । गजि चउहटइ जइ मंडिउ गाह पानतणां सवि लाण्यां लाह । फूलतणा तहि पूर्या पगर मइगलि माथि की— नगर ।
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