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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य
वछराज वषारि गयु तव सेठ साहमु ऊठीउ ॥ ५ ॥ ते वनि मि मेहलउ भाई लेइ चंदन चालिसु तिणि ठाइ । देई दाघ आवुं जेतलि तम थापणि आपु तेतलि ॥ ८ ॥ विवहारीया वीर बीससु दीटुं रतन सेठि मनि हस्यु ॥ ९ ॥ ते द्रव्य आप्युं तेणि वार वहित्रा सरि दीधु भार ॥
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कुमर पूठि वहित्रा थर सात गाऊ सोवनगिरि गयु । जइ जोऊं सरोवरपालि नहीं शब ते वडनी डालि ॥ ११ ॥ कुंयर चरण विमासि हीइ इहा उपद्रव साविजनुं होइ ॥ १२ ॥ ते चंदन सुपिडं ते धणी अचरिज वात कही आपणी । आपु थापणि जे तुम्ह हाथि हवि चालसुं अवर कहि साथि ॥ १५॥ आघा पाछा पगला भरि थापणिमोसु करवा करि । दीठा बार रतन बे तुरी लोभि सेठितणी बुद्धि फरी ॥ १६ ॥
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धन भणीइ अनरथनूं मूल धन अदेषु माथाशूल ।
धन कारणि एक कूडा करि धन वदि सगा सहोदर मरि ॥ १७ ॥ कुणबा रोस धन कारणि पडि धन कारणि एक वाहणि चडि । धन कारणि हुइ कृपण कठोर धन कारिणइ एक पइसइ चोर ॥ १८॥ धन कारण एक नीद्र न करि धन कारणि राजा रणि मरि । धन कारण रानि एक रलि धन वदि हाथे हृदा वलि ॥ १९ ॥ धन कारण एक पाडि वाट मारि अबला बंभण भाट ॥ २० ॥ भणि चडउ अस्व पूठि पल्हाण बार रतन तम आपु आणि ॥ २१ ॥ कुंयर तुरी छोडेवा गयु एक चड्डु एक वागि लीउ अश्व ऊपर जब दीठउ सेठि बूब पडावी सूमणसेठि ॥ २२ ॥
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