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________________ चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य रवि पुढ परवसि चीत कोइ न जाणि मन भयभीति । राजद्वारि मिल्या जे मानि राइ ऊठाडु जई प्रधानि ॥ १३ ॥ ऊठिउ राजा थयु गुण दोस कप्पिउ काल मन वसीउ रोस । भणि काज वणास्युं मुझ धरी छुरी करि मारुं तुझ ॥ १४ ॥ भणि मनकेसरि सामि हू साध देव म मारिस विण अपराध । राजा करि सो निसि होइ विण अपराध न मारि कोइ ॥ १५ ॥ X X X ऋणि प्रछनगति चालीया विषम वाट वन लंघी गया । किहा विप्र कहा योगी थाइ देशांतरी तणी मलि जाइ ॥ ३० ॥ एक बस एक उद्वस घाट सावज चोर चरड ते वाट । अनेक उपाय अनोपम कीया त्रिहू मासे कणयापुर गया ॥ ३१ ॥ कणयापुर पाटण घणदेस कनकभ्रम कहीइ नगर नरेस | गढ मढ मंदिर पोलि पगार वास नगर नव जोअण बार ॥ ३२ ॥ दूहा सरोवर पालि ऊतरया बाडी करया विश्राम | ततक्षणि चाल्यु कापडी गजन करीय प्रणाम ॥ ३३ ॥ चउपई बिहू जण सरसु नगर नरेस कणयापुरि कीधु परवेस । राजलक्षण जे जाणइ विवेक साहमी आवी मालणि एक ॥ ३४ ॥ एहवी बुद्धि न जाणि अन तेणीइ परण्या पुरुष रत्तन ॥ ३५ ॥ X ५१५ X X विवध फूल फल नव नैवेद्य वीणा वंश गाइ गुणभेद । सोइ जि परवरी पंचसि नारि दीठी कुंयरि मंत्रि मढि बारि ॥ ५२ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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